Sunday, October 1, 2023

Stubble Burning Problem: पराली का प्रबंधन सबकी सामूहिक जिम्मेदारी, कार्यशाला में बोले केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर

- Advertisement -

Stubble Burning Problem: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मार्गदर्शन में, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा धान की पराली के कुशल प्रबंधन के लिए विकसित पूसा डीकंपोजर के किसानों द्वारा बेहतर व इष्टतम उपयोग के उद्देश्य से पूसा, दिल्ली में आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में कार्यशाला आयोजित की गई, जिससे सैकड़ों किसान मौजूद थे एवं 60 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से हजारों किसान वर्चुअल भी जुड़े।

पूसा संस्थान द्वारा डीकंपोजर की तकनीक यूपीएल सहित अन्य कंपनियों को ट्रांसफर की गई है, जिनके द्वारा इसका उत्पादन कर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। इनके माध्यम से गत 3 वर्षों में पूसा डीकंपोजर का प्रयोग/प्रदर्शन उ.प्र. में 26 लाख एकड़, पंजाब में 5 लाख एकड़, हरियाणा में 3.5 लाख एकड़ व दिल्ली में 10 हजार एकड़ में किया गया है, जिसके बहुत अच्छे परिणाम आए हैं। यह डीकंपोजर सस्ता है और देशभर में सरलता से उपलब्ध है। कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि प्रदूषण से बचाव के लिए धान की पराली जलाने से रोकते हुए इसका समुचित प्रबंधन सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। संबंधित राज्य सरकारों- पंजाब, हरियाणा, उ.प्र. व दिल्ली को केंद्र द्वारा पराली प्रबंधन के लिए 3 हजार करोड़ रु. से ज्यादा की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इसमें सबसे ज्यादा लगभग साढ़े 14 सौ करोड़ रु. पंजाब को दिए गए हैं, हरियाणा को 900 करोड़ रु.से ज्यादा, 713 करोड़ रु. उ.प्र. को व दिल्ली को 6 करोड़ रु. से अधिक दिए गए हैं। इसमें से लगभग एक हजार करोड़ रु. राज्यों के पास बचे हुए हैं, जिसमें से 491 करोड़ रु. पंजाब के पास उपलब्ध है। केंद्र द्वारा प्रदत्त सहायता राशि से राज्यों को पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध कराई गई 2.07 लाख मशीनों के इष्टतम उपयोग से इस समस्या का व्यापक समाधान संभव है। साथ ही, पूसा संस्थान द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर इस्तेमाल किया जाएं तो समस्या के निदान के साथ ही खेती योग्य जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी।

श्री तोमर ने कहा कि धान की पराली पर राजनीतिक चर्चा से ज्यादा जरूरी, इसके प्रबंधन और इससे निजात पाने पर चर्चा करने की है। पराली जलाने की समस्या गंभीर है, इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप उचित नहीं है। केंद्र हो या राज्य सरकारें या किसान, सबका एक ही उद्देश्य है कि देश में कृषि फले-फूले व किसानों के घर में समृद्धि आए। पराली जलाने से पर्यावरण के साथ ही लोगों को नुकसान होता है, जिससे निपटने का रास्ता निकालना चाहिए और उस रास्ते पर चलना चाहिए। इससे मृदा तो सुरक्षित होगी ही, प्रदूषण भी कम होगा और किसानों को काफी फायदा होगा। कार्यशाला में पूसा डीकंपोजर उपयोग करने वाले, इन राज्यों के कुछ किसानों ने अपने सकारात्मक अनुभव साझा किए, वहीं लाइसेंसधारक ने भी पूसा डीकंपोजर के फायदों किसानों को बताए। केंद्रीय कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डीडीजी (एनआरएम) डा. एस.के. चौधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने भी कार्यशाला में संबोधित किया। श्री तोमर व पूसा आए किसानों ने प्रक्षेत्र भ्रमण करते हुए पूसा डीकंपोजर का जीवंत प्रदर्शन देखा व स्टाल्स का अवलोकन कर जानकारी ली। केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ बैठकें की- केंद्र सरकार पराली प्रबंधन के संबंध में गंभीर है और इस संबंध में सभी हितधारकों के साथ अनेक बार बैठकें की गई है। 19 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री श्री तोमर, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव तथा पशुपालन, मत्स्यपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला की उपस्थिति में संबंधित राज्य सरकारों के साथ इस संबंध में चर्चा कर दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले 21 सितंबर को भी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा श्री तोमर की अध्यक्षता में राज्यों के साथ बैठक की गई थी। कृषि सचिव व संयुक्त सचिव के स्तर पर भी अनेक बैठकें कर राज्यों को सलाह व निर्देश दिए गए है। आज की कार्यशाला इसी श्रंखला की एक कड़ी है, जिसमें श्री तोमर ने राज्य सरकारों, किसानों, कृषि वैज्ञानिकों को पराली प्रबंधन के लिए एक साथ शिद्दत से काम करने का आह्वान किया।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest news
Related news