Gonda News: Gonda News: जिला चिकित्सालय में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन
Gonda News: उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा महोदय ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी के आदेश के आलोक में आज दिनांक-30.01.2023 को ’’विश्व कुष्ठ दिवस’’ एवं “लिंग चयन पर रोक और लिंग निर्धारण से कन्या भ्रूण हत्या, बालिकाओं के प्रति भेदभाव’’ पर जिला चिकित्सालय गोण्डा में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री नितिन श्रीवास्तव, अपर जिला जज/एफटीसी-द्वितीय गोण्डा की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी रश्मि वर्मा तथा सिटी मजिस्ट्रेट अर्पित गुप्ता उपस्थित रहे।
सचिव द्वारा विधिक साक्षरता शिविर में जानकारी देते हुए बताया गया कि कुष्ठ रोग, उन बीमारियों में से एक है, जिसमें रोगी को सिर्फ रोग से नहीं इसके कारण समाज में फैले कलंक से भी मुकाबला करना होता है। कुष्ठ रोग के शिकार लोगों का हौंसला और बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने, कुष्ठ से संबंधित कलंक और भेदभाव को समाप्त करने हेतु लोगों को जागरूक के लिए ‘विश्व कुष्ठ रोग‘ दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार इस साल ‘‘यूनाइटेड फॉर डिग्निटी‘‘ थीम के साथ कुष्ठ रोग दिवस मनाया जा रहा है, जिसके माध्यम से कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की गरिमा का सम्मान किया जा सके।
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इसके साथ ही वहंा उपस्थित कुष्ठ रोगियों को कम्बल एवं बर्तन बांटे गये। इसके साथ ही सचिव द्वारा “लिंग चयन पर रोक और लिंग निर्धारण से कन्या भ्रूण हत्या, बालिकाओं के प्रति भेदभाव’’ पर जानकारी देते हुए बताया गया कि पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भू्रण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यदि कोई अस्पताल, नर्सिंग होम अथवा पैथोलाजी लैब द्वारा महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग परीक्षण के सम्बन्ध में प्रचार-प्रसार प्रिन्ट, इलेक्ट्रानिक मीडिया अथवा इण्टरनेट के माध्यम से कराया जाता है, तो यह एक दण्डनीय अपराध है, जिसमें उसे तीन वर्ष तक कारावास तथा रूपया दस हजार के दण्ड से दण्डित किया जायेगा।
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विधिक साक्षरता शिविर में उपस्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी रश्मि वर्मा द्वारा बताया गया कि कुष्ठ रोग या हेन्सन रोग एक संक्रामक स्थिति है, जिसके कारण त्वचा, नसें और आंख-नाक की परत प्रभावित हो सकती है। कुष्ठ रोग एक धीरे-धीरे बढ़ने वाले जीवाणु के कारण होता है जिसे माइकोबैक्टीरियम लेप्री कहा जाता है। इस संक्रमण के शिकार लोगों को हाथों और पैरों में सुन्नता और कमजोरी, संवेदना की कमी और त्वचा के हल्के रंग या लाल रंग के पैच दिखने की समस्या हो सकती है। कुष्ठ रोग में त्वचा पर कुछ लक्षण नजर आते हैं जिसके आधार पर इसकी पहचान की जा सकती है, जैसे त्वचा के धब्बे, आमतौर यह सुन्न हो सकते हैं और त्वचा के रंग से हल्के दिखाई देना, त्वचा पर वृद्धि (गांठ), मोटी, सख्त या सूखी त्वचा, पैरों के तलवों में दर्द रहित छाले, त्वचा के प्रभावित क्षेत्रों का सुन्न होना, मांसपेशियों में कमजोरी या लकवा (विशेषकर हाथों और पैरों में), नसों का बढ़ना (विशेषकर कोहनी और घुटने के आसपास और गर्दन के किनारों में) आंखों की समस्याएं, जिससे अंधापन हो सकता है (जब चेहरे की नसें प्रभावित होती हैं)। कुष्ठ रोग के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के संयोजन को प्रयोग में लाया जाता है।
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उपचार आमतौर पर एक से दो साल तक चलता रह सकता है। यदि निर्धारित अनुसार उपचार पूरा किया जाए तो बीमारी को ठीक किया जा सकता है। कुष्ठ रोग को लेकर फैले मिथ में से इसके स्पर्श से फैलने को लेकर अफवाहें हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यह स्पर्श से नहीं फैलता है। कुष्ठ रोगी के नाक और मुंह से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से यह फैल सकता है। कमजोर या धीरे-धीरे विकसित होने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बच्चों को कुष्ठ रोग के लिए उच्च जोखिम वाला समूह माना जाता है। यदि मां कुष्ठ रोग से संक्रमित है तो भी उसके बच्चे में इस संक्रमण के प्रसारित होने का खतरा नहीं होता है। कुष्ठ रोग यौन संपर्क से भी नहीं फैलता है। कुष्ठ रोग किसी प्रकार से आकस्मिक शारीरिक संपर्क जैसे हाथ मिलाने, गले मिलने या सार्वजनिक परिवहन में एक साथ बैठने या एक साथ भोजन करने से नहीं फैलता है। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के लिपिक मुकेश कुमार वर्मा, कनिष्ठ लिपिक कन्हैया लाल तिवारी, कार्यालय चपरासी राहुल मिश्रा, पराविधिक स्वयं सेवक कंचन सिंह, नान्हू प्रसाद यादव, संजय कुमार दूबे, राम देवी, मो0 इरफान आदि उपस्थित रहे।