Lok Sabha Election 2024: गठबंधन के साथ मिलकर सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे अखिलेश यादव
प्रकाश सिंह
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 होने में अभी समय है, लेकिन सियासी दलों ने तैयारी तेज कर दी है। बीजेपी (BJP) में जहां सांगठनिक फेर बदल की सुगबुगाहट चल रही है, वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आजमगढ़ में दावा किया है कि यूपी में सपा और गठबंधन मिलकर सभी 80 की 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) हाल ही में मैनपुरी में जो हार देखी है, उसका आकलन नहीं कर पाए हैं। बता दें कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का यह बयान 2024 के लिहाज काफी अहम माना जा रहा है। ज्ञात हो कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से ही जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में उनके इस्तीफे के बाद इस सीट पर बीजेपी काबिज हो गई। दिनेश लाल निरहुआ ने सपा प्रत्याशी को हराकर आजमगढ़ से सांसद चुने गए।
गौरतलब है समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पार्टी खुद को मजबूत करने में जुट गई है। वहीं शिवपाल सिंह यादव के सपा में आने के बाद से पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व में चुनावों में सपा का प्रदर्शन अभी तक बेहद निराशा जनक रहा है। लोकसभा चुनाव में पार्टी क्या गुल खिलाएगी यह देखना दिलचस्प होगा। क्योंकि अखिलेश यादव का आक्रामक तेवर देख जनता को सपा राज की गुंडई याद आ जाती है।
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के सामने बीजेपी का सुशासन बड़ी चुनौती
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व आई बीजेपी की सरकार में सपा की जीत का एम-वाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर काफी प्रभावित हुआ है। गुंडों-माफियाओं पर लगातार जारी कार्रवाई के चलते जहां जनता का विश्वास सीएम योगी पर बढ़ा है, वहीं सपा (Samajwadi Party) के आपराधिक छवि के नेताओं की जेल यात्रा अखिलेश के लिए चुनौती बनी हुई है। इन सबके बीच अखिलेश यादव एम-वाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर के जरिए बीजेपी के एम-वाई (मोदी-योगी) को टक्कर देने की फिराक में हैं। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद यूपी में समाजवादी पार्टी ने अपने तीन सहयोगियों सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी), महान दल और जनवादी पार्टी को खो दिया है। वहीं अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को सपा में शामिल कर पार्टी को मजबूत आधार दे दिया है।
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