Friday, September 22, 2023

UP News: भाजपा सांसद ने बनाई सपा प्रत्याशी को जिताने की रणनीति

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मोहरा बने भाजपा के जिलाध्यक्ष, एकमात्र सामान्य सीट पर भी पिछड़े की दावेदारी

UP News: सीमांचल के इस सर्वाधिक संवेदनशील नगरपालिका के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के चयन में गजब की रणनीति बनाई जा रही है। इस जिले के भाजपा के जिलाध्यक्ष गोविंद माधव यादव ने अध्यक्ष पद के लिए खुद की दावेदारी कर जिले की इस एकमात्र सामान्य सीट को भी खतरे में डाल दिया है। सबकुछ यहां के वर्तमान सांसद जगदंबिका पाल के इशारे पर हो रहा है। इस पूरी रणनीति का खुलासा खुद भाजपा से ही जुड़े लोग करने लगे हैं।

ऐसा कहा जा रहा है कि जगदंबिका पाल को आशंका है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा से उनका टिकट कट सकता है, इसलिए अपने को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने सपा के लिए अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष गोबिंदमाधव यादव का नाम उन्होंने इसीलिए आगे बढ़ाया है क्योंकि वह जान रहे हैं कि गोबिंद माधव किसी भी दशा में चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि उनका कोई जनाधार नहीं है। ऐसे में सपा प्रत्याशी की जीत आसान हो जाएगी। भाजपा से टिकट कटने की दशा में जगदंबिका पाल सपा से चुनाव लड़ेंगे और तब सपा का सहयोग उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।

यहां सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिले में दो नगर पालिकाएं, बांसी और सिद्धार्थनगर हैं। बांसी पहले से ही महिला ओबीसी के लिए आरक्षित है। जिले की कपिलबस्तु विधानसभा सुरक्षित है। इसमे एक नगर पालिका सिद्धार्थनगर है। उसका बाजार और कपिलबस्तु नगर पंचायतें आरक्षित हैं। जिले में एक मात्र नगर पालिका ही सामान्य वर्ग के लिए है जिसपर गोबिंदमाधव यादव ने दावेदारी कर दी है। अब सामान्य वर्ग के लोग यदि आक्रोशित हैं तो उनका आक्रोश स्वाभाविक ही लगता है।

जिले के भाजपा के लोगों का कहना है कि वैसे भी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सपा विधायक माता प्रसाद पांडे और पाल एक दूसरे के लिए काम कर रहे हैं। पाल जिले में वही करते हैं जो माता प्रसाद पांडे चाहते हैं। सिद्धार्थनगर जिले की अधिकांश सीटें सुरक्षित या आरक्षित हैं ।केवल नगरपालिका की सीट ही सामान्य है। अब इस पर भी आरक्षित वर्ग का यदि भाजपा प्रत्याशी देती है तो उसके जीतने की कतई उम्मीद नहीं है क्योंकि ऐसे प्रत्याशी को बहुत विरोध का सामना करना पड़ेगा।

नगर पालिका परिषद के जातीय समीकरणों पर नजर डाली जाए तो यहां समस्त आरक्षित वर्ग के मतदाताओं की कुल संख्या 23 हजार है जबकि केवल ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अकेले 26 हजार से अधिक है। ऐसे में गोबिंद माधव के जीतने का तो प्रश्न ही नहीं उठता क्योकि वह सामान्य लोगो मे बिल्कुल कोई आधार नहीं रखते। इस समय सामान्य वर्ग के मतदाता और भाजपा कार्यकर्ता ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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