Gonda News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश ने शनिवार को घाघरा-सरयू नदी के तटबंधों का निरीक्षण किया। सीएम योगी ने ग्राउंड जीरो पर उतरकर गोंडा में संभावित बाढ़ के खतरों की जानकारी ली और अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिये। दोपहर ढाई बजे गोंडा पहुंचे सीएम ने भिखारीपुर सिकरौर तटबंध के निकट ग्राम सभा ऐली, घेड़हनपुरवा में सरयू नदी के तटबंधों का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग की ओर से एल्गिन चरसड़ी तटबंध का भी निरीक्षण किया। इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए बाढ़ से बचाव के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
सरयू के जलस्तर में वृद्धि होने की संभावना है
मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने बताया कि गोंडा में प्रमुख तटबंधों के कारण प्रतिवर्ष बाढ़ की आपदा से जूझना पड़ता है, उसी का निरीक्षण किया गया है। फिलहाल जनपद में बरसात सामान्य से कम है, लेकिन उत्तराखंड और नेपाल के अंदर कुछ स्थानों पर भारी बरसात के बाद सरयू और राप्ती का जलस्तर बढ़ा है। सामान्यत: सरयू में 40 हजार क्यूसिक जल होता है, मगर वर्तमान में यहां से ढाई लाख क्यूसिक वाटर डिस्चार्ज हो रहा है। अभी इसमें और बढ़ोतरी होने की संभावना है। इन सबको देखते हुए समय से बचाव के उपाय कर लिये गये हैं। तटबंधों को बचाने के लिए प्रभावी कार्य किये जा चुके हैं। जनधन की हानि को रोकने के लिए व्यापक कार्रवाई एल्गिन चरसड़ी तटबंध, भिखारीपुर, भौरीगंज रिंग आदि तटबंधों के मरम्मत के लिए जो उपाय हुए हैं वो समय से पहले ही पूरे किये जा चुके हैं।
हम हर विषम परिस्थिति के लिए तैयार
मुख्यमंत्री ने बताया कि अगर किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति आती है तो हम उसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यहां लगभग 28 बाढ़ चौकी तैयार करने का कार्य किया गया है। स्वास्थ्य विभाग और राहत आयुक्त विभाग के साथ ही यहां जिला प्रशासन को संभावित बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में नौकाओं के साथ साथ राहत सामग्रियों के बारे में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। पिछले साल बाढ़ के दौरान यहां से साढ़े सात लाख क्यूसिक पानी डिस्चार्ज हो रहा था, उस वक्त भी हम तटबंधों को बचाने में कामयाब रहे थे।
राहत शिविर में किसी भी तरह से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए
सीएम योगी ने यहां जिले के जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अफसरों के साथ बाढ़ के मद्देनजर महत्वपूर्ण बैठक की। सीएम योगी ने बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर प्रभावितों की मदद में किसी भी प्रकार की कोताही ना बरते जाने के लिए निर्देशित किया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि राहत शिविर में किसी भी तरह से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। बाढ़ प्रभावितों के रहन-सहन और खानपान की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। कहा कि बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर मोबाइल चिकित्सा दल प्रभावित क्षेत्रों में पूरी तरह एक्टिव और राउंड पर रहे। उन्होंने कहा कि राहत शिविरों में डॉक्टरों और मोबाइल मेडिकल टीम के पास हर हाल में एंटी वेनम, एंटी रेबीज और हर तरह के विषैले जानवरों के काटने से बचाने वाला इंजेक्शन हो। राहत शिविरों में समुचित सफाई और लाइटिंग हो। साथ ही बाढ़ का पानी उतरने के बाद प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर अभियान चलाकर सफाई कराई जाए। इससे इन क्षेत्रों में संक्रामक बीमारी फैलने न पाए। उन्होंने बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त होने वाले सड़कों और गलियों की भी शीघ्र मरम्मत कराए जाने का निर्देश दिया।
इस दौरान प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह सहित जिले के जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारीगण मौजूद रहे।