बाघा बॉर्डर से लौटाई गई मेरठ की सना: पाकिस्तान में पति करता रहा इंतजार, मां बोली- क्या बेटी की शादी गुनाह थी?
मेरठ की युवती सना को पाकिस्तान में शादी के बाद भारत लौटने पर बाघा बॉर्डर से भेजा गया वापस, माँ ने सवाल किया – क्या बेटी की शादी पाकिस्तान में करना गुनाह है?

मेरठ, उत्तर प्रदेश : पाकिस्तान में शादी कर अपने ससुराल जाने की तैयारी कर रही मेरठ की सना को बाघा बॉर्डर से भारत वापस भेज दिया गया। उसकी मां का कहना है कि परिवार की 50 साल पुरानी रिश्तेदारी पाकिस्तान से है, और उन्होंने बेटी की शादी कराची में तय की थी। लेकिन अब सरकारी नीतियों और तनावपूर्ण भारत-पाक रिश्तों के चलते बेटी और परिवार को बेइंतिहा परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।
पति करता रहा इंतजार, लेकिन नहीं मिली एंट्री
सना के पति असद ने कराची में सना के स्वागत के लिए पूरी तैयारियां की थीं। लेकिन बाघा बॉर्डर पर कस्टम और इमिग्रेशन अधिकारियों ने दस्तावेजों की कमी या स्पष्ट मंजूरी न होने के चलते सना को पाकिस्तान में प्रवेश की अनुमति नहीं दी।
घंटों इंतजार के बाद भी उसे भारत लौटने पर मजबूर कर दिया गया।
‘रिश्तेदारी गुनाह हो गई?’ – माँ का सवाल
सना की माँ ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“हमारे परिवार की दो ननदें पिछले 50 सालों से कराची में रह रही हैं। रिश्तेदारी और भरोसे की वजह से बेटी की शादी वहीं की। क्या यही हमारा गुनाह है?“
उन्होंने आगे कहा कि उनकी बेटी ने कोई अवैध काम नहीं किया, सब कुछ कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ। फिर भी उसे सीमा से लौटा दिया गया, जिससे पूरा परिवार मानसिक रूप से टूट चुका है।
सरकारी मंजूरी और रिश्तों में दरार
भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव का असर आम नागरिकों की जिंदगी पर साफ नजर आता है। अंतरराष्ट्रीय विवाहों में वीजा और यात्रा मंजूरी सबसे बड़ी बाधा बन रही है। सना का मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे राजनीतिक परिस्थितियां व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप करती हैं।
क्या कहते हैं कानूनी जानकार?
कानून विशेषज्ञों के अनुसार, भारत-पाकिस्तान के बीच विवाह करने वाले नागरिकों को एमईए (Ministry of External Affairs) और गृह मंत्रालय की विशेष अनुमति लेनी होती है। किसी भी तरह की सीमा पार आवाजाही के लिए कड़ा वीजा प्रोसेस लागू होता है।
यदि वीजा या मंजूरी स्पष्ट न हो, तो व्यक्ति को सीमा पर ही रोक दिया जाता है।
निष्कर्ष:
सना का मामला ना सिर्फ एक पारिवारिक पीड़ा की कहानी है, बल्कि यह एक बड़ी कूटनीतिक सच्चाई को भी सामने लाता है। जब तक दोनों देशों के बीच भरोसे और संवाद का पुल नहीं बनता, तब तक ऐसे रिश्ते सरहदों पर दम तोड़ते रहेंगे।