हैं प्रखर तेज, प्रज्ञा विवेक लिए
अरविन्द शर्मा अजनबी
रचनाकार
हैं प्रखर तेज, प्रज्ञा विवेक लिए,
शिक्षित स्वर्ण सुराही हैं!
विद्या, बुद्धि, ज्ञान के पथपर,
श्री जे.पी सर, इक राही हैं!
लेखक होना तो भाग्य रहा ,
सौभाग्य बड़ा हम सब का है।
जे पी सर का साथ मिला,
ये ईश्वर की ही मर्ज़ी है।।
व्यवहार,आचार, विचार सहित,
सम्राट, सिहांसन,शाही हैं;
विद्या, बुद्धि, ज्ञान के पथ के,
जे.पी सर, इक राही हैं!
कुछ ने इनको पाकर काटा,
निज मतिबंधन, निजवेणी को;
कुछ शिष्यों ने है नाम कमाया,
“पा” इस पुण्य त्रिवेणी को!
जिसको सानिध्य मिला इनका,
वे मानव मन उत्साही हैं;
विद्या,बुद्धि, ज्ञान के पथ के ,
जे.पी सर इक राही हैं!
है फेसबुक का महादौर,
होती जवान झूठी बातें;
ये चाँद यहां,कम दिखते हैं,
कटती हैं जुगनू संग रातें!
इनको ढूढो विद्वानों में,
जितने अच्छे गुणग्राही हैं;
विद्या, बुद्धि ज्ञान के पथ के,
जे.पी सर इक राही हैं!
है प्रखर तेज, प्रज्ञा विवेक लिए,
शिक्षित स्वर्ण सुराही हैं!
विद्या बुद्धि ज्ञान के पथ पे,
जे.पी सर इक राही हैं!
जे.पी शर्मा को समर्पित रचना
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