विचार
Formation: लिव-इन रिलेशनशिप
रचनाकार: कवि अरविन्द शर्मा अजनबी
Formation: ना जाने लोग नाहक क्यूँ ,
जवानी की दुआ देते ?
जवाँ होकर ये बच्चे खुद !
जवानी को मिटा देते॥
जन्म इनको दिया जिसने,
कलेजे से सटा रखा।
वही दुशमन हुआ इनका !
ग़ैर लगता इन्हें अच्छा॥
ये कैसा दौर आया है ?
आधुनिक युग इसे कहते।
ना होती शादियाँ इसमें ,
रिलेशनशिप जिसे कहते॥
मिले बस!चार दिन केवल,
मोहब्बत हो गई समझो।
रहेगें साथ में दोनों ,
इन्हें है फ़िक्र काहें को ॥
ना कोई उम्र की सीमा ,
ना रहता जाति का बंधन।
जब आँखें चार होतीं हैं ,
तो लगते अपने ही दुश्मन॥
मगर अंजाम तो इनका ,
हमेशा ही बूरा होता।
हवस की भूख पर अक्सर,
ये रिश्ता है टीका होता॥
बहुत ही कम लोगों को,
सच्चे हमसफ़र मिलते।
नहीं तो लाश के टुकड़े ,
कहीं जंगल में हैं मिलते॥
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