53वें इफ्फी, गोवा में कजाकिस्तान की फिल्म हैप्पीनेस (बकित) प्रदर्शित की गई
फिल्म के मुख्य विषय घरेलू हिंसा पर प्रकाश डालते हुए निर्देशक अस्कर उज़ाबायेव ने कहा कि परिवार, समाज की महत्वपूर्ण संस्था है और यह पीढ़ियों से चले आ रहे सामाजिक मुद्दों को रोकने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में यह एक दुष्चक्र है। लगातार होने वाले दुर्व्यवहारों को महिलाओं द्वारा अपने परिवारों में उकसाया जाता है और अब वक्त आ गया है, जब हमारे समाज में इस तरह की सामाजिक बुराई को रोका जाना चाहिए’। कजाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर निर्देशक ने कहा कि महिलाओं के पास परिवार में निर्णय लेने की उच्च शक्ति होती है। समाज महिलाओं पर निर्भर करता है, लेकिन साथ ही पितृसत्तात्मक समाज में महिला-पुरुष समानता की बात कहीं पीछे छूट जाती है।
सह-निर्माता अन्ना कैचको, जो इफ्फी टेबल टॉक्स में भी मौजूद थीं, उन्होंने कहा कि वे उन महिलाओं की संख्या देखकर हैरान थीं, जिन्होंने फिल्म देखने के बाद अपनी कहानियां साझा करने के लिए उनसे संपर्क किया था। उन्होंने कहा, ‘पटकथा और कहानी को लोगों पर केंद्रित होना चाहिए और दर्शकों को बांधे रखना चाहिए। मेरे लिए ऐसी फिल्में बनाना बहुत महत्वपूर्ण है जिनका सामाजिक असर ज्यादा हो।’ उन्होंने ये भी बताया कि फिल्म ‘हैप्पीनेस’ उनके देश की असल घटनाओं से प्रेरित है।
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