उत्तर प्रदेशदेश

Kanpur Dehat: बेशर्म डांस वाली डीएम पर सस्पेंस बरकरार

Kanpur Dehat: कानपुर देहात में प्रशासन के सामने हुई विभत्स घटना पर सियासत तेज हो गई है। विपक्ष जहां मां-बेटी की जलकर हुई मौत पर सरकार को घेरने में लगा है, वहीं दबाव में आई सरकार दोषियों पर सख्त एक्शन के मूड में नजर आ रही है। हालांकि कानपुर की जिलाधिकारी और एसपी पर कार्रवाई न होने से लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है। इस मामले में एसडीएम को संस्पेंड कर दिया गया है। गौरतलब है कि कानपुर नगर के मैथा तहसील क्षेत्र के मड़ौली पंचायत के चालहा गांव में सोमवार को ग्राम समाज की जमीन से कब्जा हटाने पहुंची पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम के सामने कब्जेदार की झोपड़ी में अचानक से आग लग गई। इस घटना में झोपड़ी के साथ मां-बेटी झोपड़ी की जलकर मौत हो गई। हालांकि दोनों को बचाने के प्रयास में गृहस्वामी व रुरा थाना प्रभारी झुलस गए।

कानपुर देहात में हुई इस घटना ने हर किसी को झकझोर दिया है। मंगलवार को प्रशासन के अधिकारियों की तरफ से परिजनों को समझाने का प्रयास चल रहा है। नाराज परिजन शव नहीं उठाने नहीं दे रहे थे। परिजन पांच करोड़ रुपए, सरकारी नौकरी व दोनों बेटों के लिए आवास की मांग कर रहे थे। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई वार्ता के बाद परिजन शव उठाने को तैयार हुए। बताया जा रहा है कि इसके बाद फॉरेंसिक टीम ने शव लेकर गई। कानपुर देहात की घटना में एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद और लेखपाल को निलंबित कर दिया गया है। डीएम ने बताया कि लेखपाल अशोक सिंह को सस्पेंड करने के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है।

हैरत की बात यह है कि जिस घटना से पूरा समाज आहत है, उसी घटना के बाद कानुपर महोत्सव के दौरान कानपुर जिलाधिकारी नेहा जैन मंच पर कमर मटका रही हैं और एसपी गाना गाते नजर आ रहे हैं। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की यह हरकत बता रही है कि वह आम जनमानस को लेकर कितना संवेदनशील हैं। नौकरशाही का यह क्रूर चेहर सुशासन के दावे करने वाली योगी सरकार के चेहरे पर किसी तमाचे से कम नहीं है। फिलहाल विपक्ष के दबाव में सरकार ने अपने अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए एसडीएम और लेखपाल को सस्पेंड कर डीएम और एसपी को बचाने का पूरा प्रयास कर रही है। वहीं मामले को सियासी रंग देने के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता कानपुर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन की चौकसी के चलते किसी को पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा है।

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