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Gujarat Riots: बिलकिस बानो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र-गुजरात सरकार को जारी किया का नोटिस

Gujarat Riots: 2002 के गुजरात दंगों के दौरान के दौरान बिलकिस बानो के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों को रिहा किए जाने का मामला एक बार फिर तूल पकड़ता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो की ओर से दायर याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। कोई ने अपराध को “भयानक” भी बताया है। कोर्ट अब 18 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरथना की एक नई बेंच ने केंद्र और गुजरात सरकार से दोषियों को छोड़े जाने से संबंधित फाइलें पेश करने का आदेश दिया है।

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गौरतलब है कि पीठ ने दोषियों को छोड़े जाने को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं का एक समूह का संज्ञान लिया। इनमें से एक याचिका पीड़िता बिलकिस बानो की ओर से दायर की गई थी। जबकि अन्य को जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में दायर किया गया था। ये सभी याचिकाएं गत अगस्त में दोषियों की समय से पहले रिहाई को लेकर उठे हंगामे के मद्देनजर दायर की गई थी। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक नई बेंच स्थापित करने पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की है।

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बिकलिस बानो के वकील के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई दिसंबर से नहीं हुई थी, क्योंकि निर्दिष्ट पीठ के एक न्यायाधीश ने मामले से खुद को अलग कर लिया था। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के तहत, रोस्टर के मास्टर के रूप में ये सीजेआई को यह विशेषाधिकार है कि वह अलग-अलग बेंचों को मामले सौंपे। बता दें कि 2002 गुजरात दंगों के दौरान हिंसा से भागते समय बिकलिस बानो जो उस समय 21 साल की थी और पांच महीने की वह गर्भवती भी थी।

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