Opposition Meeting: लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए विपक्ष एकजुट होकर रणनीति बनाने में जुट गया है। राजनीति में कहा जाता है दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए। विपक्षी महागठबंधन में भी यही देखने को मिल रहा है। महागठबंधन में शामिल नेता एक-दूसरे को कभी पसंद नहीं करते। अब तक के चुनावों में एक-दूसरे पर गंभीर आरोप भी लगाते आए हैं। लेकिन 2024 से पहले सभी दल के नेता पीएम मोदी को हराने के लिए एक मंच पर विपक्षी एकता का प्रदर्शन करने में लग गए हैं। हालांकि ये नेता साथ आने में भी अपना हित ढूंढ रहे हैं। क्योंकि बिहार में हुई बैठक में पहुंचने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यह कहकर बैठक छोड़कर चले गए थे कि जहां कांग्रेस रहेगी वह वो शामिल नहीं होंगे। बेंगलुरु में सोमवार को कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष की महाबैठक होने जा रही है। ऐसे में खबर आ रही है कि बैठक में शरद पवार शामिल नहीं होंगे।
मजे के बात यह है कि आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल जो यह कहकर बिहार में बैठक छोड़कर चले गए थे कि कांग्रेस जहां रहेगी, वह वहां शामिल नहीं होंगे। वही अरविंद केजरीवाल आज बेंगलुरु में कांग्रेस की अगुवाई में हो रही महा बैठक में शामिल होंगे। इसका कारण भी है क्योंकि दिल्ली में अधिकार को लेकर कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया है। निजी लाभ को देखकर मन परिवर्तन करने वाले नेता महागठबंधन को कितनी मजबूती देंगे, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन विपक्षी नेताओं के बैठक में शामिल होने में जिस तरह स्वार्थ नजर आ रहा है, यह अच्छे संकेत नहीं हैं।
सूत्रों की मानें तो बेंगलुरु में 17 जुलाई को कांग्रेस की अगुवाई में होने वाली विपक्ष की महाबैठक में कुल 26 राजनीतिक दल हिस्सा लेंगे। इसमें बीजेपी को घेरने की रणनीति बनाई जाएगी। मजें की बात यह है कि दो दिन चलने वाली विपक्ष की इस महाबैठक की अगुवाई कांग्रेस कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से सभी विपक्षी नेताओं को बैठक में आने का न्योता भेजा गया था। इस बैठक में साझा विपक्ष के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और आगे की रणनीति पर मंथन-चिंतन होगा।
बैठक में शामिल नहीं होंगे शरद पवार
सोमवार को बैठक शुरू से पहले बड़ा अपडेट आया है। बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) के शरद पवार हिस्सा नहीं ले पाएंगे। उनकी पार्टी की तरफ से यह जानकारी दी गई है। हालांकि, वह किन कारणों से मीटिंग में नहीं आ रहे हैं, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। बताते चले कि बिहार में हुई महागठबंधन की बैठक के बाद शरद पावर की पार्टी में दो-फाड़ हो गई। शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बगावत कर एनसीपी पर कब्जा जमा लिया है।