New Delhi: फालुन दाफा (जिसे फालुन गोंग भी कहा जाता है) मन और शरीर का उच्च स्तरीय ध्यान अभ्यास है। बैंगलोर के फालुन दाफा अभ्यासियों ने लालबाग बोटैनिकल गार्डन में 5 से 15 अगस्त, 2023 तक आयोजित फ्लावर शो में भाग लिया। वार्षिक रूप से आयोजित यह फ्लावर शो बैंगलोर में बहुत लोकप्रिय है जिसमें लगभग दस लाख लोग घूमने आते हैं।
इस वर्ष का मुख्य आकर्षण पुष्पों से सजी मेडिटेशन प्रतिमा रही जिसे पोंडिचेरी में रह रही रूसी फालुन दाफा अभ्यासी तात्याना ने बनाया था। सुंदर पीले और सफेद फूलों से सजी मेडिटेशन प्रतिमा फालुन दाफा के मूल सिद्धांत सत्य, करुणा और सहनशीलता का सन्देश दर्शा रही थी। बहुत से बच्चों और युवाओं को प्रतिमा के आगे सेल्फी खिंचवाते हुए देखा गया। फालुन दाफा एक प्राचीन साधना अभ्यास है जिसमें पांच सौम्य व्यायाम सिखाये जाते हैं। फालुन दाफा को पहली बार चीन में मई 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा सार्वजनिक किया गया। आज, 100 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं। लेकिन दुःख की बात यह है कि चीन, जो फालुन दाफा की जन्म भूमि है, वहां 20 जुलाई 1999 से इसका दमन किया जा रहा है जो आज तक जारी है।
फ्लावर शो के प्रमुख स्थान पर एक फालुन दाफा सूचना डेस्क लगाया गया। अभ्यासियों ने फालुन गोंग के पांच व्यायाम मनोरम और iiसुंदर संगीत के साथ प्रदर्शित किये। इस अवसर पर अभ्यासियों ने लोगों के बीच परिचय पत्रक वितरित किए। प्रदर्शनी में आये लोगों ने व्यायामों के बारे में जानकारी ली और अभ्यासियों से व्यायाम सीखे। इस दौरान लोगों को चीन में फालुन गोंग के ऊपर किये जा रहे दमन के बारे में भी अवगत किया गया। प्रदर्शनी में अनेक लोगों ने पहली बार फालुन दाफा के बारे में सुना। व्यायाम प्रदर्शन देखने के बाद बहुत से लोगों ने सीखने में रुचि दिखाई। अनेक लोगों ने फालुन दाफा की पुस्तकें भी खरीदीं।
बेंगलुरु की रहने वाली शिक्षक हेमा नरसिम्हन पुष्प प्रतिमा को दूर से देख कर बूथ पर आईं, “मैं संगीत और पुष्प प्रतिमा से बहुत आकर्षित हुई, और मैं अपने को यहाँ आने से नहीं रोक पायी।” बातचीत की 20 मिनट की अवधि में, उन्होंने अभ्यास और इसके सिद्धांतों को समझा। प्रस्थान करने से पहले, हेमा ने भविष्य के अभ्यास सत्रों के लिए संपर्क विवरण प्राप्त किया। शिशु गृह सीनियर स्कूल में कार्यरत अमूल वैशु ने फालुन दाफा के व्यायाम करने के बाद तुरंत इसके लाभकारी प्रभाव को महसूस किया। उन्होंने अपनी समीक्षा में फालुन दाफा अभ्यास के सकारात्मक प्रभाव और स्वास्थ्य-वर्धक क्षमता के बारे में लिखा। लालबाग उद्यान की उप निदेशक सुश्री कुसुमा ने अपनी टीम के साथ बूथ का दौरा किया और ‘सत्य, करुणा, और सहनशीलता’ के मूल्यों को बढ़ावा देने में अभ्यासियों की सराहना की।
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कई लोगों ने कहा कि अभ्यासियों को व्यायाम देख उन्हें उन्हें शुभकारी शांति महसूस हुई और संगीत बहुत सुखदायक लगा। उनमें से अनेक ने शक्तिशाली ऊर्जा महसूस की। फालुन दाफा को पूरी तरह नि:शुल्क सिखाया जाता है। यदि आप भी इस अभ्यास को सीखने के इच्छुक हैं तो www.LearnFG.in पर इसके नि:शुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। फालुन दाफा के बारे में अधिक अधिक जानकारी आप www.FalunDafa.org पर पा सकते हैं।