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Deoria Kand: प्रशासनिक लपरवाही में अनाथ हुए बच्चे, गरीबी-अमीरी और रसूख के फेर में तबाह हो गए दो परिवार

प्रकाश सिंह

Deoria Kand: सरकारी कर्मचारी और अधिकारी अगर जिम्मेदारी से अपने काम करने लगे तो काफी हद तक अपराधों पर अंकुश लग सकते हैं। सरकारी कर्मियों की कामचोरी के चलते दफ्तरों में जहां फाइलों का बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं इंसाफ की आस में कई परिवार आक्रोश की आग में झुलस रहे हैं। उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद के रुद्रपुर थाना क्षेत्र के फतेहपुर गांव टोला लेहड़ा में 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर हुई हिंसक घटना के पीछे प्रशासनिक लापरवाही साफ नजर आ रही है। यहां सत्यप्रकाश दुबे जहां जैसे-तैसे अपना घर चला रहा था, तो वहीं सपा से पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद्र यादव अपने रसूख से लोगों की जमीने हड़प रहा था। गरीबी और अमीरी के बीच की खाई में फंसा गरीब सत्यप्रकाश दुबे अपनी जमीन प्रेम यादव से वापस पाने के लिए सरकारी कार्यालयों से लेकर कोर्ट की चौखट पर नाक रगड़ रहा था।

फसल सत्यप्रकाश बोता था, लेकिन काट लेता था प्रेम यादव

स्थानीय लोगों की मानें तो खेत में फसल सत्यप्रकाश बोता था, लेकिन दबंगई के बल पर प्रेमचंद्र यादव फसल काट ले जाता था। घटना के दिन भी प्रेम यादव कोर्ट में पैरवी से रोकने सत्यप्रकाश के घर पहुंचा था। वर्षों से दबंगई से घुट रहा सत्यप्रकाश दुबे अपना आपा खो बैठा और प्रेम यादव पर जानलेवा हमला बोल दिया, जिसमें उसकी मौके पर ही मौत हो गई। प्रेम यादव की मौत के बाद उसके समर्थकों ने जो ताडंव मचाया, उसके बारे में लोग सोचकर सिहर जा रहे हैं। हिंसक भीड़ ने न सत्यप्रकाश दुबे को घर से खींच कर बेहरमी से हत्या करने के बाद उसकी पत्नी और मासूम बच्चों समेत पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया। सत्यप्रकाश दुबे की बड़ी लड़की शोभिता और लड़का देवेश दुबे जो घर से बाहर थे वह बच गए हैं। वहीं घटना में घायल 8 वर्षीय मासूम गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। इस पूरे घटना क्रम में दो परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गया है। दोनों परिवारों के बच्चे अनाथ हो गए हैं। जिन अधिकारियों की लापरवाही से इतनी बड़ी घटना घटी, वह अब हरकत में आ गए हैं और कड़ी कार्रवाई की बात कर रहे हैं।

पुलिस और प्रशासन की लापरवाही का शिकार हुआ परिवार

हिंसा की शिकार हुए सत्यप्रकाश दुबे की बड़ी बेटी शोभिता ने पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शोभिता के मुताबिक, पुलिस और प्रशासन उनकी फरियाद पहले ही सुन लेता तो शायद यह घटना न होती। उन्होंने कहा कि जमीनी रंजिश में इस घटना को अंजाम दिया गया है। जमीनी रंजिश के चलते पहले भी कई बार मारपीट हुई थी, लेकिन शिकायत के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती थी। बता दें कि देवरिया जिले के रुद्रपुर थाना क्षेत्र के फतेहपुर गांव के टोला लेहड़ा में 2 अक्टूबर की सुबह सत्यप्रकाश दुबे के घर पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या हो गई थी। इसके थोड़ी देर बाद प्रेम यादव के समर्थकों ने सत्यप्रकाश दुबे के घर में घुस कर वहां मौजूद सभी छह लोगों पर जानलेवा हमला बोल दिया। इस हमले में सत्यप्रकाश दुबे, उनकी पत्नी और तीन बच्चों समेत पांच लोगों की तो मौके पर मौत हो गई, वहीं सत्यप्रकाश के एक बेटे की हालत गंभीर बनी हुई है। हालांकि हमलावर इस बच्चे को मृत जानकर छोड़ा था। मासूम का इलाज गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।

कोर्ट की तारीख से पहले धमकाने पहुंच जाता था प्रेमचंद

सत्यप्रकाश की बड़ी बेटी शोभिता की शादी हो चुकी है, वह मौके पर नहीं थी, इसलिए जीवित है। उसने बताया कि वारदात के वक्त उनका एक भाई देवेश दुबे पूजा के लिए बलिया गया था। इसलिए वह भी जिंदा बच गया है। शोभिता ने बताया कि प्रेम प्रकाश ने वर्ष 2014 में उसके चाचा ज्ञान प्रकाश दुबे उर्फ साधु दुबे का अपहरण कर लिया था और उनकी सारी जमीन अपने भाई के नाम बैनामा करा लिया था। शोभिता के मुताबिक, जब मामले की जानकारी हुई उसके पिता सत्यप्रकाश को हुई तो उन्होंने कोर्ट में केस कर दिया। इसके बाद प्रेमचंद यादव उसके पिता को आए दिन असलहा दिखाकर धमकी देता था। यहां तक कि कई बार मुकदमे की पैरवी से रोकने के लिए मारपीट की भी कोशिश कर चुका था। शोभिता का कहना है जब भी मुकदमे की तारीख आती थी, प्रेमचंद उसके घरवालों को धमकाने पहुंच जाता था। वारदात के दिन भी वह यही करने सत्यप्रकाश के घर पहुंचा था। लेकिन उस दिन सत्यप्रकाश दुबे का धैर्य जवाब दे गया और इतनी पड़ी वारदात हो गई।

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