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UP News: जनता के बीच योगी तो ‘अपने’ छोड़ रहे अखिलेश का साथ

UP News: उच्च सदन में भाजपा को मिला साथ योगी आदित्यनाथ के विश्वास का परिचायक है तो लोगों को इस्तेमाल करने का अखिलेश का तरीका उन्हें ‘अपनों’ से दूर कर रहा है। मैनपुरी छोड़ दें तो अन्य उपचुनाव हों या नगर निकाय, अखिलेश ने अपनों का साथ तक नहीं दिया। बल्कि कई जगह तो अपने प्रत्याशियों की बजाय दूसरों का साथ दे दिया। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा के साथ सुभासपा उतरी थी पर चुनाव बाद इस्तेमाल कर छोड़ने की आदत अखिलेश की राजनीति के लिए सवालिया निशान खड़ी कर रही।

लोकसभा चुनाव के पहले ही बड़ा झटका

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले एक बार फिर भाजपा के विरोध में एकजुटता की कवायद चल रही है, लेकिन उच्च सदन में इनके पक्ष में कांग्रेस, बसपा का वोट देने न आना और जनसत्ता दल व सुभासपा का भाजपा उम्मीदवारों को वोट देना यह दर्शाता है कि योगी के यूपी में इनकी दाल न गलेगी।

लड़कों का साथ छूटा, बुआ-भतीजा का रिश्ता भी चुनाव बाद टूटा

उच्च सदन के चुनाव में अखिलेश यादव के उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी और लोकदल के विधायकों का साथ तो मिला, लेकिन सुभासपा ने साथ नहीं दिया। अखिलेश की नीति के कारण सुभासपा ने उनके पक्ष में मतदान नहीं किया। वहीं सहयोगियों को चुनाव के समय याद करने और चुनाव बाद तुरंत भूलने का अखिलेश का पैंतरा अब काम करना छोड़ दिया। 2017 में अखिलेश-राहुल की दोस्ती और 2019 लोकसभा चुनाव में बुआ-भतीजे का रिश्ता भी सिर्फ चुनाव तक रहा। लिहाजा उनके दोहरे चेहरे से सभी मुखातिब हो चुके हैं।

उपचुनावों में ‘अपनों’ का भी नहीं देते साथ

मैनपुरी को छोड़ दिया जाय तो अखिलेश यादव उपचुनाव में अपनों का साथ तक नहीं निभाते। आजमगढ़ में पारिवारिक सदस्य धर्मेंद्र यादव और रामपुर में आजम खां के खास आसिम रजा के चुनाव प्रचार में भी नहीं गए। नगर निकाय चुनावों में भी अखिलेश ने भी ‘साथ’ न दिया तो स्वार-टांडा और छानबे विधानसभा उपचुनाव में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति रही।

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