देश

Harivansh: पत्रकारिता का लोकधर्म’ पुस्तक का लोकार्पण

Harivansh: राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा है कि 300-400 वर्षों में विचार ने इतिहास को बदला, लेकिन नब्बे के दशक के बाद ‘तकनीक’ ने दुनिया को बदला। हरिवंश आज सप्रे संग्रहालय में अपने ऊपर प्रकाशित पुस्तक ‘हरिवंशः पत्रकारिता का लोकधर्म’ के लोकार्पण व चर्चा कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। पुस्तक को प्रलेक प्रकाशन ने छापा है। लोकार्पण समारोह में पुस्तक के प्रकाशक जितेंद्र पात्रो भी उपस्थित थे।

समारोह को संबोधित करते हुए हरिवंश ने कहा कि मुख्यधारा की पत्रकारिता आदर्शों से दूर चली गई। समारोह को संबोधित करते हुए ‘नवनीत’ के संपादक विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि हरिवंश की पत्रकारिता ही लोकधर्म की पत्रकारिता है। पत्रकारिता का धर्म ही है ‘लोक’ की चिंता। आजादी के दौर में पत्रकारिता विशेष कर हिंदी पत्रकारिता ने समाज को एक दिशा दी, किंतु धीरे-धीरे वह अपने उद्येश्यों से भटक गई। जबसे दृश्य माध्यम आया है, पत्रकारिता के स्वरूप में बदलाव आया है। विश्वनाथ सचदेव ने कहा कि हरिवंश जैसे व्यक्ति पत्रकारिता छोडक़र राजनीति में चले गए यह राजनीति के लिए बड़ी उपलब्धि हो सकती है, किंतु पत्रकारिता की बड़ी क्षति है।

किताब के संपादक कृपाशंकर चौबे ने कहा कि लेखन बहुत ही आसान कार्य है, लेकिन ‘संपादन’ एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कि विश्वनाथ सचदेव और हरिवंश जी जैसे लोगों की बदौलत ही पत्रकारिता का लोकधर्म आज बचा हुआ है। सप्रे संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि हरिवंश जी आई किताब पत्रकारिता की धरोहर है इसके लोकार्पण के साथ ही यह भी मंशा थी कि विश्वनाथ जी, हरिवंश जी और कृपाशंकर चौबे जैसी विभूतियों से पत्रकारित के विद्यार्थियों का संवाद हो, जिससे उनके अनुभवों का लाभ मिल सके। कार्यक्रम के दूसरे चरण में पत्रकारिता के विद्यार्थियों ने तीनों विभूतियों से पत्रकारिता के मौजूदा परिदृश्य को लेकर सवाल किये। आरंभ में संग्रहालय की ओर से डॉ. शिवकुमार अवस्थी, डॉ. रत्नेश, अरविंद श्रीधर ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन मीडिया शिक्षक लालबहादुर ओझा ने किया तथा आभार प्रदर्शन वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजेश बादल ने किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button