उत्तर प्रदेश

अब 41 साल बाद फैसला हुआ रद्द, पूर्व सैनिक को 1983 में मिली थी आजीवन कारावास की सजा

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गवाहों के बयान में विरोधाभास का हवाला देते हुए बदायूं के सत्र न्यायाधीश द्वारा दिए गए आजीवन कारावास के निर्णय को 41 साल के बाद रद्द कर दिया। निचली अदालत ने 1983 में एक पूर्व सैनिक को हत्या के एक मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चूंकि अपीलकर्ता पहले से ही जमानत पर है, इसलिए अदालत ने उसकी अपील स्वीकार करते हुए कहा कि उसे आत्मसमर्पण करने की जरूरत नहीं है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में बहुत विरोधाभास है।

इसे भी पढ़ें-सुलतानपुर: डेढ़ करोड़ रुपये के जेवरात हुई थी लूट, ज्वैलर्स की दुकान वाले 3 आरोपी मुठभेड़ में गिरफ्तार

पीठ ने कही ये बात
जहां प्रथम गवाह ने कहा कि मृतक का शव घटनास्थल से पुलिस थाने ले जाया गया, वहीं, चौथे गवाह ने कहा कि शव कभी पुलिस थाना ले ही नहीं जाया गया।’’ पीठ ने कहा,‘‘यही नहीं, अदालत का विचार है कि जब घटना के एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी द्वारा दूसरे गवाह के बयान की पुष्टि नहीं की गई तो उसके साक्ष्य का उचित ढंग से सावधानीपूर्वक परीक्षण किया जाना चाहिए था जोकि मौजूदा मामले में नहीं किया गया।” इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, छह जुलाई, 1982 को फूल सिंह नाम के व्यक्ति की कथित तौर पर हत्या कर दी गई और उसी दिन मृतक के भाई शिवदान सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई जिसमें उसने सेना में सेवारत जवान मुरारी लाल पर हत्या का आरोप लगाया।

इसे भी पढ़ें-गोंडा: अमरूद की खेती से कमा रहे मुनाफा, बागवानी को बनाया कमाई का जरिया

साल 1983 में दी गई थी सजा
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि मुरारी लाल ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से शिवदान सिंह के भाई फूल सिंह की हत्या की। जांच के बाद पुलिस ने आरोपी मुरारी लाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया और मुरारी लाल द्वारा आरोप से इनकार करने पर उसके खिलाफ मुकदमा चलाया गया। निचली अदालत ने तीन मई, 1983 को दिए अपने आदेश में आरोपी मुरारी को धारा 302 के तहत दोषी करार दिया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस निर्णय के खिलाफ अपीलकर्ता ने मौजूदा अपील उच्च न्यायालय में दायर की। उच्च न्यायालय ने 14 अगस्त को दिए अपने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में काफी विरोधाभास है और दूसरे गवाह का बयान अविश्वसनीय है।

NEWS SOURCE Credit : indiatv

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button