Kanpur News: एनआईए की टीम ने शुरू की जांच, कालिंदी एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की कोशिश
Kanpur News: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में रसोई गैस सिलेंडर और अन्य विस्फोटक सामग्री रखकर कालिंदी एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की कोशिश के मामले की सोमवार को जांच शुरू कर दी। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि एनआईए की टीम ने आज दोपहर मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। अपर पुलिस महानिदेशक (रेलवे) भी टीम के साथ पहुंचे। टीम ने दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर रेल पटरी और उसके आसपास के इलाके का सर्वेक्षण किया। एनआईए की टीम सोमवार रात को ही कानपुर पहुंच गयी थी। इस बीच, जांच के विवरण का पता लगाने के लिए एनआईए नियंत्रण कक्ष से संपर्क करने पर बताया गया कि इस सिलसिले में दिल्ली में एक विस्तृत प्रेस बयान जारी किया जाएगा।
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कानपुर जिले में रविवार रात प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की कोशिश की गई थी। इसके तहत अज्ञात लोगों ने पटरी पर रसोई गैस सिलेंडर रख दिया था। इसे देखकर चालक ने आपातकालीन ब्रेक लगा दी और सिलेंडर उससे टकराकर दूर जा गिरा। गनीमत रही कि सिलेंडर इंजन में फंसकर फटा नहीं, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। घटनास्थल के पास क्षतिग्रस्त सिलेंडर के अलावा पेट्रोल से भरी बोतल और माचिस सहित कई संदेहास्पद चीजें भी बरामद की गई हैं।
कानपुर पश्चिम के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजेश कुमार सिंह के मुताबिक पुलिस ने इस सिलसिले में सोमवार को दो स्थानीय कुख्यात अपराधियों समेत छह लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 287 (आग या ज्वलनशील पदार्थ के संबंध में लापरवाही पूर्ण आचरण), 125 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य) और विस्फोटक अधिनियम, 1884 तथा रेलवे अधिनियम के प्रावधानों के तहत अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि ट्रेन को पटरी से उतारने की कोशिश भले ही नाकाम रही, लेकिन इसे अंजाम देने के लिए जो कार्यप्रणाली अपनायी गई थी उससे यह पता चलता है कि यह किसी ‘अकुशल’ व्यक्ति का काम था और यह किसी अंदरूनी व्यक्ति का काम भी हो सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने पिछले छह दिनों के मोबाइल टावरों का डेटा (ग्राहकों की जानकारी वाले कॉल विस्तृत रिकॉर्ड) भी मांगा है, क्योंकि हमें लगता है कि इससे पुलिस को मामले को सुलझाने में मदद मिलेगी, लेकिन कई मोबाइल सेवा प्रदाता इसे उपलब्ध कराने में विफल रहे।