देश

सुप्रीम कोर्ट : पूरे देश में निर्देश जारी करेंगे जरूरत पड़ी तो कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा मानदंडों को लेकर

नई दिल्ली : दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में 3 छात्रों की मौत मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ओल्ड राजेंद्र नगर जैसी घटना दोबारा होने से रोकने के लिए पूरे दिल्ली में एक समान पहल की जानी चाहिए. जरूरत पड़ी तो हम ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पूरे देश में निर्देश जारी करेंगे l सुप्रीम कोर्ट ने मौत की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उच्चस्तरीय समिति को निर्देश दिया कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए 4 सप्ताह के अंदर अंतरिम रिपोर्ट पेश करे. दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि वह भी बताएं कि उन्होंने इस संबंध में क्या कदम उठाए या उठा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-IND vs BAN Test Series : बनाई 308 रन की बढ़त, चेन्नई टेस्ट में भारत ने बांग्लादेश पर कसा शिकंजा

बीती 27 जुलाई को कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी भरने से 3 छात्रों की मौत हो गई थी. 3 छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट में यह मामला चल रहा है. इस मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि जरूरत पड़ने पर देशभर के कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा मानदंडों को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने ऐसी घटनाएं रोकने के लिए बनाई गई नीतियों और प्रशासनिक बदलावों की विस्तृत जानकारी देने को कहा इससे पहले, भारत सरकार के अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ से कहा कि ओल्ड राजेंद्र नगर की घटना की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा… ‘दिल्ली में यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, लेकिन कई अन्य जगहों पर भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है. समय के साथ हमें अंतत इस मुद्दे को संबोधित करना होगा.

नियामक उपाय अपने आप में पर्याप्त हों सुप्रीम कोर्ट

अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कानून को लागू करने की कमी वह  जगह है, जहां सब कुछ गलत हो जाता है. इस पर पीठ ने कहा कि कार्यान्वयन में कमी को देखा जा सकता है. बशर्ते, नियामक उपाय अपने आप में पर्याप्त हों. सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि आपके विनियामक उपाय सही हों तो कोई यह कह सकता है कि कार्यान्वयन में कमी है. कभी-कभी जो भी सुझाव दिया जा रहा है, संरचनाएं इस तरह की गतिविधि के लिए नहीं हैं तो स्पष्ट रूप से विनियमन में ही कुछ कमी है.

NEWS SOURCE Credit : lalluram

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button