उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में किराया कानून: अब रेंट एग्रीमेंट की होगी रजिस्ट्री, कानूनी रूप से होगी मान्यता

उत्तर प्रदेश में अब किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच केवल रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट ही कानूनी रूप से मान्य होगा, जिससे विवादों में कमी आएगी।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने किरायेदारी से जुड़े नियमों को सख्त करते हुए एक नया प्रावधान लागू किया है, जिसके तहत अब रेंट एग्रीमेंट (किराया अनुबंध) की रजिस्ट्री कराना अनिवार्य होगा। इस नए नियम के अनुसार, केवल रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में दर्ज शर्तें ही कानूनी रूप से मान्य मानी जाएंगी, और किसी भी विवाद की स्थिति में कोर्ट में दावा केवल पंजीकृत अनुबंध के आधार पर ही किया जा सकेगा

किरायेदार और मकान मालिकों के लिए नए नियम

इस बदलाव का मकसद किरायेदारों और मकान मालिकों के अधिकारों को सुरक्षित करना और अनौपचारिक समझौतों के कारण उत्पन्न होने वाले विवादों को कम करना है। कई बार मकान मालिक बिना किसी लिखित अनुबंध के किरायेदारों से किराया लेते हैं, जिससे भविष्य में विवाद होने पर कानूनी अड़चनें आती हैं।

अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड नहीं है, तो वह कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा और मकान मालिक या किरायेदार किसी भी प्रकार का कानूनी दावा नहीं कर सकेंगे।

रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण क्यों जरूरी?

  1. कानूनी सुरक्षा – पंजीकृत एग्रीमेंट से मकान मालिक और किरायेदार, दोनों को कानूनी संरक्षण मिलेगा।
  2. न्यायिक प्रक्रिया आसान होगी – यदि कोई विवाद होता है, तो न्यायालय केवल पंजीकृत दस्तावेज को ही मान्यता देगा।
  3. अनौपचारिक समझौतों पर रोक – इससे मौखिक या बिना लिखित अनुबंध वाले किरायों की प्रणाली को खत्म करने में मदद मिलेगी।
  4. सरकार को राजस्व मिलेगा – रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण होने से सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।

कोर्ट में दावा तभी होगा जब एग्रीमेंट होगा रजिस्टर्ड

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई मकान मालिक या किरायेदार किसी कानूनी विवाद के लिए अदालत जाता है, तो सिर्फ रजिस्टर्ड एग्रीमेंट को ही साक्ष्य (एविडेंस) के रूप में स्वीकार किया जाएगा। अनरजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की स्थिति में कोर्ट किसी भी पक्ष की सुनवाई नहीं करेगा।

नया नियम कब से लागू होगा?

उत्तर प्रदेश सरकार इस नियम को जल्द ही प्रभावी करने जा रही है। इसके लिए सभी मकान मालिकों और किरायेदारों को अपने मौजूदा अनुबंधों को रजिस्टर्ड कराने की सलाह दी गई है।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच विवादों को कम करने और किरायेदारी प्रणाली को पारदर्शी बनाने में एक अहम कदम साबित होगा। इससे जहां मकान मालिकों को किराया नहीं मिलने जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी, वहीं किरायेदारों को भी मनमाने ढंग से निकाले जाने या अनुचित शर्तों के खिलाफ सुरक्षा मिलेगी।

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