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Dussehra 2024: जानिए क्या है महत्त्व, दशहरे से पहले मंडियों में क्यों बढ़ी गन्ने की डिमांड

अंबाला : दशहरा एक ऐसा त्यौहार है जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान श्री राम ने रावण के अहंकार को समाप्त कर अच्छाई का परचम लहराया था। सदियों से, दशहरे के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन कर लोग बुराई पर अच्छाई के इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं।

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गन्ने की पूजा और उसका महत्व

दशहरा के दिन लोग गन्ने की पूजा करते हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह परंपरा खेती और ग्रामीण जीवन से जुड़ी हुई है, जहां गन्ने को समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। दशहरा फसल कटाई के समय के आसपास आता है, जब खेतों में नई फसलें तैयार होती हैं। गन्ने को पूजा के रूप में शामिल करना इस बात का प्रतीक है कि धरती ने अच्छी फसल दी है और लोग देवी-देवताओं को इसके लिए धन्यवाद करते हैं। गन्ना भी भगवान राम और रावण की कहानी से जुड़ा हुआ माना जाता है। कई स्थानों पर दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन करने के बाद लोग गन्ने को प्रसाद के रूप में खाते हैं। मंडी में गन्ने की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है।

NEWS SOURCE Credit : punjabkesari

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