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Report: इसका मकसद वैश्विक स्तर पर अस्थिरता फैलाना, खालिस्तान आंदोलन का सिख समुदाय की इच्छाओं से कोई संबंध नहीं

International Desk: खालिस्तान आंदोलन, जो एक अलग सिख राज्य की मांग करता है, दशकों से विवादों और हिंसक घटनाओं का केंद्र रहा है। हाल ही में, कमेंटेटर रोहन कुमार पल्ल ने एक वीडियो में इस आंदोलन के चरमपंथी पहलुओं पर चर्चा करते हुए इसकी असली मंशा और संचालन पर सवाल उठाए। पल्ल ने इस आंदोलन को “बदले और हिंसा से प्रेरित” बताते हुए कहा कि इसके पीछे के नेता सिख समुदाय की समस्याओं का समाधान करने की बजाय अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक हित साधने में लगे हैं। रोहन पल्ल ने अपनी बातों में दो प्रमुख खालिस्तानी नेताओं, जगमीत सिंह और गुरपतवंत सिंह पन्नू, का नाम लिया। उन्होंने कहा कि ये नेता सिखों के लिए नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने और बाहरी स्रोतों से फंडिंग जुटाने में ज्यादा रुचि रखते हैं।

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पल्ल का यह भी दावा है कि इस आंदोलन को पाकिस्तान से वित्तीय और रणनीतिक समर्थन मिलता है, जो इसे और खतरनाक बनाता है। पल्ल ने यह साफ किया कि खालिस्तान आंदोलन और सिख समुदाय की व्यापक इच्छाओं के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय विश्वभर में शांति, परिश्रम और धर्मनिष्ठता के लिए जाना जाता है। लेकिन चरमपंथी नेताओं ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। खालिस्तान आंदोलन को हिंसा से जोड़ने वाले सबसे बड़े उदाहरणों में से एक 1985 का एयर इंडिया बम धमाका है, जिसे खालिस्तानी चरमपंथियों ने अंजाम दिया था। इस आतंकी हमले में 329 निर्दोष लोग मारे गए थे। इसके अलावा, खालिस्तानी संगठनों पर भारत और विदेशों में कई हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप लगे हैं।

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विश्लेषकों के मुताबिक, खालिस्तान आंदोलन की जड़ें धार्मिक और सामाजिक अधिकारों से अधिक बदले और हिंसक राजनीति में हैं। पल्ल का मानना है कि इसका उद्देश्य न केवल भारत की अखंडता को चुनौती देना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता फैलाना भी है। रोहन पल्ल ने कहा कि सिखों की वैध चिंताओं को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि खालिस्तान जैसे चरमपंथी आंदोलनों के बीच और सिख समुदाय के वास्तविक मुद्दों के बीच अंतर समझा जाए। उन्होंने बाहरी हस्तक्षेप और हिंसा को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सिख समुदाय के साथ संवाद और सम्मान से ही समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।  खालिस्तान आंदोलन के कारण भारत के साथ कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों के संबंधों में कई बार तनाव पैदा हुआ है। ये देश खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हिंसा और उग्र गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अपने लोकतांत्रिक मंचों के कारण आलोचना का सामना कर चुके हैं।

NEWS SOURCE Credit : punjabkesari

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