गोंडा: विकसित होंगे लर्निंग कॉर्नर 17.43 लाख रुपये से 215 आंगनबाड़ी केंद्रों पर
गोंडा: जिले के 215 परिषदीय स्कूलों के परिसर में संचालित को लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों पर लर्निंग कॉर्नर विकसित करने के लिए सरकार ने 17.43 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है। आवंटित बजट के सापेक्ष प्रत्येक स्कूलों के विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में 8110 रुपये की धनराशि भेज दी गयी है। इस धनराशि से स्कूलों में चार तरह के लर्निंग कॉर्नर तैयार किए जायेंगे। इस लर्निंग कॉर्नर के जरिए परिषदीय स्कूलों के परिसर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत 3 से 6 वर्ष आयु तक के बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षा दी जायेगी। इस लर्निंग कॉर्नर में शिशु स्तर की पुस्तकें उपलब्ध होंगी। इन पुस्तकों के माध्यम से आंगन बाड़ी कार्यकत्रियां नन्हे मुन्ने बच्चों को न सिर्फ अक्षर ज्ञान करायेंगी बल्कि उन्हे प्रारंभिक स्तर पर मिलने वाले व्यवहारिक ज्ञान से भी परिचित करायेंगी। तीन साल तक बाल वाटिका में पढ़ने के बाद बच्चों का प्रवेश प्राथमिक कक्षा में किया जायेगा।
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूली शिक्षा के ढांचे में अब प्री-प्राइमरी को भी शामिल किया गया है। जिसमें बच्चों को अब तीन साल की उम्र से ही स्कूली शिक्षा में प्री प्राइमरी व बालवाटिका कक्षाओं के जरिए जोड़ने का प्रस्ताव है। इसके लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को बालवाटिका और प्री-प्राइमरी स्कूलों के रूप में बदलने का सुझाव दिया गया है। इस सुझाव से दृष्टिगत इन केंद्रों को अपग्रेड किया जा रहा है। जिले में कुल 3095 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं जिसमें 2550 केंद्र बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक स्कूलों के परिसर में हैं। इनमें से 215 केंद्रों को बाल वाटिका के रूप में परिवर्तित करने का फैसला किया गया है।
प्री प्राइमरी कक्षाओं के संचालन के लिए यहां लर्निंग कॉर्नर बनाया जायेगा। इस लर्निंग कॉर्नर में 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे। इसके लिए पाठ्य सामग्री बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिए सरकार की तरफ से 17.43 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया है। जिला समन्वयक प्रशिक्षण हरिगोविंद यादव ने बताया कि लर्निंग कॉर्नर बनाए जाने के लिए चयनित स्कूलों के विद्यालय प्रबंध समिति के बैंक खाते में धनराशि भेज दी गयी है।
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तीन अलग अलग आयु वर्ग में बांटे गए बच्चे
प्री प्राइमरी शिक्षा के लिए बाल वाटिका में पंजीकृत बच्चों को तीन आयु वर्ग में बांटा गया है। इन्हे अलग अलग पाठ्य सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी। 4 से 5 वर्ष तक के बच्चों को चहक- दो व प्राक्कलन-2 की पुस्तक मिलेगी। 5 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को चहक तीन व प्राक्कलन तीन दिया जायेगा। वहीं 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को कलांकुर नाम की किताब दी जायेगी। सभी बच्चों को नेशनल बुक ट्रस्ट आफ इंडिया की तरफ से कार्य पुस्तिका भी मिलेगी। इसके अतिरिक्त प्रत्येक केंद्र को आईआईटी गांधी नगर की तरफ से एक वंडर बॉक्स भी दिया जायेगा। वंडर बॉक्स में गणित व संकल्पना से संबंधित पाठ्यक्रम होगा।
जिले में परिषदीय स्कूलों के परिसर में कुल 2550 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं इनमें से 215 स्कूलों को लर्निंग कॉर्नर के लिए चयनित किया गया है। इस लर्निंग कॉर्नर 3 वर्ष से 6 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे इसके लिए विभाग की तरफ से बच्चों को पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक स्कूल को 8110 रुपये की धनराशि आवंटित की गयी है… हरि गोविंद यादव,जिला समन्वयक- प्रशिक्षण।
NEWS SOURCE Credit : amritvichar