देश

खतरनाक ईको सिस्टम है, सनातन और हिंदू के जिक्र से ही चौंक जाती हैं भटकती आत्माएं : उपराष्ट्रपति धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को एक कार्य़क्रम में कहा कि देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनकी सनातन और हिंदू के जिक्र भर से चौंकाने वाली प्रतिक्रिया आती है। उन्होंने ऐसे लोगों को ‘गुमराह’ करार दिया। उपराष्ट्रपति ने शुक्रवार को इस बात पर अफसोस जताया कि भारत में सनातन और हिंदू के जिक्र भर से ‘गुमराह’ लोगों की ओर से चौंकाने वाली प्रतिक्रिया सामने आती है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग शब्दों की गहराई और उनके गहरे अर्थ को समझे बिना ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, वे ‘खतरनाक ईको सिस्टम’ द्वारा संचालित ‘गुमराह’ आत्माएं हैं। जेएनयू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेदांत कांग्रेस को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि यह विडंबना और पीड़ा है कि इस देश में सनातन और हिंदू का जिक्र किए जाने भर से समझ से परे चौंकाने वाली प्रतिक्रिया सामने आती है।

उन्होंने कहा, ‘इन शब्दों की गहराई, उनके गहरे अर्थ को समझने के बजाय, लोग जल्दबाजी में प्रतिक्रिया व्यक्त कर देते हैं।’ धनखड़ ने ऐसे लोगों को ‘गुमराह आत्माएं’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘ऐसे व्यक्ति खतरनाक पारिस्थितिकी तंत्र से संचालित होते हैं जो न केवल समाज के लिए बल्कि खुद के लिए भी खतरा है।’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे समय में जब वैश्विक विधाएं वेदांत दर्शन को अपना रही हैं, ‘आध्यात्मिकता की इस भूमि में कुछ ऐसे लोग हैं’ जो वेदांत और सनातनी ग्रंथों को ‘प्रतिगामी’ कहकर खारिज कर देते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘खारिज करने की यह प्रवृत्ति अक्सर विकृत, औपनिवेशिक मानसिकता, हमारी बौद्धिक विरासत की अक्षम समझ से उपजी है। ये तत्व एक व्यवस्थित और भयावह तरीके से काम करते हैं।’

इसे भी पढ़ें-50 से अधिक देशों के 4 हजार से अधिक प्रतिनिधि होंगे शामिल, CM धामी ने कृषि विज्ञान सम्मेलन और कृषि प्रदर्शनी के पोस्टर का किया विमोचन

जगदीप धनखड़ ने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं, जो इन शब्दों का अर्थ समझने की कोशिश तक नहीं करते हैं। बस उन्हें प्रतिक्रिया देनी होती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज भले ही दुनिया में तकनीक का विस्तार तेजी से हो रहा है, लेकिन यही वक्त है, जब हमें अपनी जड़ों की ओर दोबारा जाना होगा। उन्होंने कहा कि इस देश को आज हमारे वेदांत की जरूरत है, जो समावेश की बात करता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश का स्थायी विकास तभी संभव है, जब वहां शांति हो और स्थिरता रहे। ऐसा माहौल सनातन और वेदांत के साथ ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा वेदांत तो संवाद की बात करता है। यदि आप संवाद ही नहीं करेंगे तो फिर कोई भी मसला कैसे हल हो सकता है। हमें किसी भी दिशा में आगे बढ़ने के लिए साथ चलना होगा और संवाद करते रहना होगा।

NEWS SOURCE Credit : livehindustan

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button