उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कानून सख्त हो गया है। अगर कोई नाबालिग पार्टनर, झूठी पहचान या धोखे का सहारा लेकर लिव-इन में रहता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। ऐसे मामलों में धोखाधड़ी साबित होने पर जेल जाना तय माना जा रहा है।
राज्य में बढ़ते फर्जीवाड़े और नाबालिगों के शोषण को रोकने के लिए प्रशासन ने कड़े नियम लागू किए हैं। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप में धोखे से प्रवेश करता है—जैसे फर्जी पहचान, गलत उम्र बताना या पहले से शादीशुदा होते हुए इसे छिपाना—तो धारा 420, पॉक्सो एक्ट और अन्य कानूनी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियम नाबालिगों की सुरक्षा और फर्जी रिश्तों को रोकने के लिए लागू किया गया है। अगर आप लिव-इन में रहना चाहते हैं, तो ईमानदारी और पारदर्शिता जरूरी है, वरना जेल की सजा से बचना मुश्किल हो सकता है।
अगर रजिस्ट्रार किसी कपल को लिव-इन प्रमाण पत्र देने के अयोग्य समझता है, तो वह इसकी पूरी लिखित वजह दोनों को बताएगा।
नए नियमों के तहत, अगर कोई कपल 1 महीने से अधिक समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, तो उन्हें अपने रिश्ते को आधिकारिक रूप से दर्ज कराना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा, यदि किसी भी पक्ष द्वारा झूठी जानकारी दी जाती है, जैसे फर्जी पहचान, नाबालिग होने की सच्चाई छिपाना, या वैवाहिक स्थिति गलत बताना, तो यह धोखाधड़ी की श्रेणी में आएगा और कानूनी कार्रवाई के तहत दंडनीय होगा।