
भोपाल : भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी का मानना है कि संवाद से दुनिया की हर समस्या का समाधान संभव है। उन्होंने कहा, “जो लोग लड़ रहे हैं, उन्हें संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए, क्योंकि सभ्यताएं संवाद करती हैं, संघर्ष नहीं।”
वे राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) के ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में लंदन के प्रवासी लेखक नितिन मेहता, द टेंपल ऑफ अंडरस्टैंडिंग इंडिया फाउंडेशन के महासचिव डॉ. ए.के. मर्चेंट और राम जानकी संस्थान के संस्थापक उदय कुमार मन्ना ने भी अपने विचार साझा किए।
मीडिया का भारतीयकरण आवश्यक – प्रो. द्विवेदी
प्रो. द्विवेदी ने भारतीय मूल्यों को स्थापित करने के लिए मीडिया के भारतीयकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा,
“मीडिया को भारतीय संस्कृति और वसुधैव कुटुंबकम जैसे सिद्धांतों को बढ़ावा देना चाहिए। प्रवासी भारतीयों ने भी वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को मजबूत किया है और उनकी पत्रकारिता ने सकारात्मक संचार को बल दिया है।”
प्रवासी भारतीयों की भूमिका पर चर्चा
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. ए.के. मर्चेंट ने प्रवासी भारतीयों की सांस्कृतिक कूटनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय प्रवासियों का सूर्य कभी अस्त नहीं होता।
🔹 उन्होंने प्रवासी भारतीयों के इतिहास, गिरमिटिया श्रमिकों और खाड़ी देशों में भारतीयों की बढ़ती उपस्थिति पर प्रकाश डाला।
🔹 उन्होंने भारत की विदेश नीति में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ को आधारशिला बताते हुए कहा कि यह विश्व शांति और सद्भाव को बढ़ावा देता है।
🔹 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की आकांक्षा पर भी चर्चा हुई।
प्रवासी भारतीय हैं सांस्कृतिक राजदूत – नितिन मेहता
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नितिन मेहता (लंदन) ने कहा कि भारतीय प्रवासी सांस्कृतिक राजदूतों की भूमिका निभाते हैं।
🔸 उन्होंने योग, ध्यान, उपवास और शाकाहार को वैश्विक स्तर पर अपनाने पर बल दिया।
🔸 उन्होंने विश्व योग दिवस को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता दिलाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की सराहना की।
इतिहास में प्रवासी भारतीयों की भूमिका
🔹 आकांक्षा मन्ना ने लाला हरदयाल, श्यामजी कृष्ण वर्मा, मैडम भीकाजी कामा और राजा महेंद्र प्रताप जैसी ऐतिहासिक हस्तियों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने विदेशी धरती से भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
🔹 केन्या के रमेश मेहता ने नेत्र देखभाल के लिए लायंस क्लब के सामुदायिक प्रभाव पर चर्चा की।
🔹 न्यूजीलैंड से रति चौबे ने मकर संक्रांति उत्सव के अपने अनुभव साझा किए।
संवाद से बनेगा बेहतर विश्व
कार्यक्रम का समापन ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की अवधारणा को अपनाने और शांति, एकता एवं समृद्धि की दिशा में कार्य करने के संकल्प के साथ हुआ।