
हरियाणा : के पंचकूला में मोरनी के बालदवाला गांव के पास भारतीय वायुसेना का जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान अंबाला एयरबेस से प्रशिक्षण उड़ान के लिए रवाना हुआ था। हालांकि, हादसे से ठीक पहले पायलट ने पैराशूट से कूदकर अपनी जान बचा ली। इस दुर्घटना ने एक बार फिर जगुआर फाइटर जेट की क्षमताओं और इसके भविष्य को लेकर चर्चा छेड़ दी है।
जगुआर फाइटर जेट: कितना खतरनाक?
जगुआर फाइटर जेट को SEPECAT (फ्रांस और ब्रिटेन की संयुक्त परियोजना) ने डिजाइन किया था। यह एक सुपरसॉनिक लड़ाकू विमान है, जो कम ऊंचाई पर स्थिर उड़ान भर सकता है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से जमीनी हमलों और रणनीतिक अभियानों के लिए किया जाता है।
जगुआर की खासियतें:
- मल्टी-रोल क्षमता: यह एयर-टू-ग्राउंड, एयर-टू-एयर और एंटी-शिप हमले करने में सक्षम है।
- कम ऊंचाई पर उड़ान: इसका डिज़ाइन इसे दुश्मन के रडार से बचने में मदद करता है।
- भारी हथियार ले जाने की क्षमता: इसमें विभिन्न मिसाइलें और बम फिट किए जा सकते हैं।
- परमाणु हमला करने की क्षमता: इसे शीत युद्ध के दौरान विशेष रूप से परमाणु हथियारों के लिए अनुकूलित किया गया था।
- उन्नत रेंज: यह 900-1000 किमी की उड़ान क्षमता रखता है, लेकिन रडार से बचते हुए 650 किमी तक कम ऊंचाई पर उड़ सकता है।
भारत में जगुआर का इतिहास:
भारत को 1968 में इस विमान की पेशकश की गई थी, लेकिन तब इसे स्वीकार नहीं किया गया। बाद में, 1978 में भारत ने 1 अरब डॉलर की डील के तहत 40 जगुआर विमानों को खरीदा। आज भारतीय वायुसेना के पास लगभग 120 जगुआर विमान हैं, जो छह स्क्वाड्रन में तैनात हैं।
भारत में जगुआर की तैनाती:
- अंबाला: 5वीं स्क्वाड्रन (टस्कर्स) और 14वीं स्क्वाड्रन (बुल्स)
- जामनगर: 6वीं स्क्वाड्रन (ड्रैगन्स) और 224वीं स्क्वाड्रन (वॉरलॉर्ड्स)
- गोरखपुर: 16वीं स्क्वाड्रन (ब्लैक कोबरा)
- हाशिमारा: 27वीं स्क्वाड्रन (फ्लेमिंग एरोज)
क्या जगुआर की रिटायरमेंट का समय आ गया?
जगुआर का डिज़ाइन 1960 के दशक का है और इसे आधुनिकीकरण की आवश्यकता है। भारतीय वायुसेना ने जगुआर के इंजन अपग्रेड प्रोग्राम (DARIN III) के तहत इसे अपग्रेड किया है, लेकिन फिर भी, इसकी उम्र को देखते हुए इसे जल्द ही रिटायर किए जाने की संभावना है। इसकी जगह अब राफेल और तेजस जैसे आधुनिक विमानों को तैनात करने की योजना बनाई जा रही है।
निष्कर्ष:
जगुआर ने भारतीय वायुसेना को दशकों तक मजबूत बनाए रखा, लेकिन अब इसकी जगह नए और आधुनिक विमानों की जरूरत है। हालांकि, यह फाइटर जेट आज भी अपनी ताकत साबित कर रहा है, लेकिन भविष्य में इसकी जगह नए जेट लेंगे।