पंचायतीराज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने किया ‘विकसित पंचायत – विकसित भारत’ का विमोचन, लड़कियों की शिक्षा पर दिया जोर
शिक्षा से सशक्त होगी पंचायत, महिला नेतृत्व से मजबूत होगा ग्रामीण शासन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि शिक्षा राष्ट्र के विकास की नींव है और पंचायतों को विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
वे एस्पिरेशनल भारत कोलैबोरेटिव (पिरामल फाउंडेशन) और पंचायती राज विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने भारत के भविष्य को आकार देने में शिक्षा की परिवर्तनकारी भूमिका पर जोर दिया।
लड़कियों की शिक्षा से होगा सशक्तीकरण
मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा, “यदि हम पंचायतों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें, तो भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में बड़ा कदम उठाएगा। हर बच्चे— चाहे बेटा हो या बेटी— को शिक्षा का अधिकार है, और खासकर लड़कियों की शिक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती।”
महिला नेतृत्व से ग्रामीण शासन में बदलाव
कार्यक्रम में मंत्री ने ‘विकसित पंचायत – विकसित भारत’ नामक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया, जिसमें उत्तर प्रदेश की 28 महिला सरपंचों की प्रेरणादायक कहानियां शामिल हैं। इसके अलावा, ‘पंच नारी’ नामक एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें बहराइच की थारू जनजाति की एक महिला सरपंच की नेतृत्व यात्रा दिखाई गई।
महिला सरपंचों को किया गया सम्मानित
इस अवसर पर मंत्री ने राज्य की सात पंचायतों की महिला सरपंचों को भी सम्मानित किया।
एस्पिरेशनल भारत कोलैबोरेटिव, पिरामल फाउंडेशन के सीईओ मनमोहन सिंह ने कहा कि महिला सरपंचों ने पारंपरिक रूढ़ियों को तोड़कर नेतृत्व की नई मिसाल कायम की है।
उन्होंने कहा, “ग्रामीण नेतृत्व पर सदियों से पुरुषों का दबदबा रहा है, लेकिन इन महिलाओं ने अपने साहस और दृढ़ता से इसे बदल दिया है। ‘विकसित पंचायत – विकसित भारत’ इन प्रेरणादायक महिला नेताओं को समर्पित है।”
महिला सरपंचों ने साझा की अपनी नेतृत्व यात्रा
जाजरदेवपुर ग्राम पंचायत की सरपंच मुन्नी देवी ने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्हें पहली बार वाराणसी से बाहर जाने का अवसर मिला, जो उनके लिए बेहद खास अनुभव था।
बहराइच के फकीरीपुरी ग्राम पंचायत की सरपंच और थारू जनजाति की सदस्य माधुरी देवी ने अपनी संघर्ष यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि सामाजिक स्वीकृति पाने के लिए उन्हें पुरुषों जैसे वस्त्र पहनने पड़े।
उन्होंने कहा, “महिलाएं अब नेतृत्व की भूमिका में आ रही हैं, लेकिन हमें अभी लंबा सफर तय करना है। मंत्रीजी के साथ मंच साझा करना मेरे और मेरी पंच बहनों के लिए प्रेरणा है, बल्कि हर उस लड़की के लिए भी, जो विकसित भारत में योगदान देने का सपना देखती है।”
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