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केजरीवाल के रावण वाले बयान पर सियासी घमासान, रामायण की कथा से जुड़ा सवाल

रावण वाले बयान पर घिरी राजनीति, रामायण की कथा का सच जानने की बढ़ी जिज्ञासा

रामायण में स्वर्ण हिरण कौन था? रामायण की असली कहानी क्या है? जानते हैं इन प्रश्नों के उत्तर के बारे में…

रामायण काल में कई ऐसे पात्र हैं, जो महत्वपूर्ण हैं। उन्हीं में से एक मारीच भी था। मारीच रावण का मामा था। वह रावण का विश्वासपात्र भी था। ऐसे में रावण मारीच के पास गया और उसे सोने का हिरण बनने के लिए कहा। हालांकि मारीच ने पहले भी रावण की कई बार अपनी मायावी शक्तियों से मदद की थी। लेकिन जब मारीच को पता चला कि इस बार रावण राम को पराजित करने के लिए उनकी मदद मांग रहा है तो उसने रावण को समझाने की बेहद कोशिश की।

रावण ने कहा कि अगर तुम्हें अपनी जान प्यारी है तो तुम्हें मेरा साथ देना होगा। रावण ने कहा कि अगर तुम मेरे लिए यह कार्य करते हो तो मैं तुम्हें अपना आधा राज्य भी दे सकता हूं। लेकिन अगर तुम मेरा यह कार्य नहीं करोगे तो तुम्हारी मौत निश्चित है। हालांकि मारीच के लाख समझाने के बाद भी रावण नहीं माना।

रामायण में स्वर्ण हिरण कौन था?

बता दें कि माता सीता ने जो सोने का हिरण देखा था वह कोई और नहीं बल्कि मारीच ही था, जिसे लेकर आने के लिए माता सीता ने राम जी से जिद्द की थी। लोगों को लगता है कि माता सीता ने हिरण को मारने के लिए कहा था परंतु ऐसा नहीं है। उन्होंने केवल उसे लाने के लिए कहा था।

हालांकि श्री राम ने माता सीता से मना किया था। तब माता सीता ने कहा कि वो हिरण इस वन में अकेला है। जब उसकी मां लौट आएगी तो मैं उसे वापस कर दूंगी। माता सीता की इस इच्छा को पूरा करने के लिए श्री राम हिरण को पकड़ने के लिए उसके पीछे चले गए।

ऐसे में वो हिरण कभी दिखाई देता तो कभी गायब हो जाता। तब प्रभु श्री राम समझ गए कि ये कोई मामूली हिरण नहीं है बल्कि मायावी है। इसी कारण राम जी ने तीर चलाया था और उसका वध कर दिया।

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