भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट पंबन ब्रिज: रामेश्वरम से जुड़ेगा भविष्य
550 करोड़ की लागत से बना 2.08 किमी लंबा ब्रिज, 17 मीटर तक ऊपर उठ सकेगा; समुद्री रास्ते से भी रेल कनेक्टिविटी की नयी शुरुआत

भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट पंबन ब्रिज अब बनकर तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे रामनवमी के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित किया। यह ब्रिज भारत की मुख्य भूमि को रामेश्वरम द्वीप से जोड़ता है और इंजीनियरिंग की दृष्टि से एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
यह नया पंबन ब्रिज न केवल आधुनिक इंजीनियरिंग का उदाहरण है, बल्कि यह भगवान राम के काल में बने रामसेतु की सांस्कृतिक विरासत से भी जुड़ता है। इस ब्रिज का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘भूतकाल और भविष्य को जोड़ने वाला सेतु’ बताया।
खासियतें जो पंबन ब्रिज को बनाती हैं अनोखा
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कुल लंबाई: 2.08 किलोमीटर
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कुल लागत: 550 करोड़ रुपये से अधिक
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वर्टिकल लिफ्ट क्षमता: 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है
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स्पैन की संख्या: 99 स्पैन, जिसमें 72.5 मीटर लंबा वर्टिकल लिफ्टिंग हिस्सा
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मटेरियल: स्टेनलेस स्टील, वेल्डेड जोड़, विशेष सुरक्षात्मक पेंट और पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग
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डिज़ाइन: डबल ट्रैक लेआउट, भविष्य में ट्रैफिक बढ़ने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए
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पुराने ब्रिज से 3 मीटर अधिक ऊंचाई, जिससे भारी और तेज रेलगाड़ियाँ आसानी से गुजर सकें
ऐतिहासिक संदर्भ और तकनीकी चमत्कार
1914 में ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा बनाए गए पहले पंबन ब्रिज की जगह यह नया ब्रिज अब ले चुका है। पहले वाला ब्रिज कैंटिलीवर डिज़ाइन का था, जबकि यह नया ब्रिज वर्टिकल लिफ्ट तकनीक पर आधारित है — जो अब भारत में पहली बार इस्तेमाल की गई है।
पर्यावरणीय चुनौतियों और सुरक्षा उपायों का समाधान
समुद्री तूफानों, भूकंपों और तेज हवाओं के बावजूद इस पुल का निर्माण सफलतापूर्वक किया गया। इसे रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने पूरा किया, जो रेल मंत्रालय की नवरत्न कंपनी है।
दुनिया के प्रतिष्ठित ब्रिज की श्रेणी में शामिल
यह पुल अब अमेरिका का गोल्डन गेट ब्रिज, लंदन का टावर ब्रिज, और डेनमार्क-स्वीडन का ओरेसुंड ब्रिज जैसे वैश्विक स्तर के पुलों की सूची में शुमार हो गया है।
क्या है वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज?
वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज एक ऐसा पुल होता है जिसे आवश्यकता पड़ने पर ऊपर उठाया जा सकता है, जिससे समुद्र के बड़े जहाज आराम से उसके नीचे से गुजर सकें।
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