उत्तर प्रदेशलखनऊ

GST छापे के बाद भी बाजपेयी कचौड़ी पर लगी भीड़: 50 रुपए में भरता है आम आदमी का पेट

10 साल पुराने ग्राहक बोले- "रेस्टोरेंट में 500 लगते हैं, यहां 50 में तृप्ति मिलती है"

लखनऊ : की मशहूर बाजपेयी कचौड़ी भंडार पर हाल ही में GST विभाग द्वारा छापेमारी की गई, लेकिन इस कार्रवाई का ग्राहकों के रुझान पर कोई असर नहीं पड़ा। बल्कि इसके बाद लोगों की भीड़ और बढ़ गई है। वर्षों से लखनऊ के मिडिल क्लास और ऑफिस गोइंग लोगों के लिए पेट भरने का सबसे भरोसेमंद ठिकाना बना ये ठेला, आज भी उतना ही लोकप्रिय है।


“50 रुपए में भरता है पेट, स्वाद वही पुराना है”

स्थानीय निवासी विनोद मिश्रा, जो पिछले 10 सालों से यहां खाना खा रहे हैं, कहते हैं:

“रेस्टोरेंट में अगर हम जाएं, तो कम से कम 500 रुपए का बिल आएगा। यहां 50 रुपए में गर्मागर्म कचौड़ी, आलू की सब्ज़ी और रायता मिल जाता है। इतना स्वाद और संतुष्टि शायद ही कहीं मिले।”


GST टीम की छापेमारी, लेकिन ग्राहकों का भरोसा कायम

हाल ही में GST विभाग ने बाजपेयी कचौड़ी पर टैक्स से संबंधित कागजातों की जांच के लिए छापा मारा। हालांकि, दुकान प्रबंधक ने सभी रिकॉर्ड दिखाए और जांच के दौरान पूरी तरह सहयोग किया। विभाग की तरफ से अभी कोई बड़ी अनियमितता सामने नहीं आई है।

ग्राहकों का मानना है कि ये कार्रवाई उनकी जेब और पेट दोनों को प्रभावित नहीं करेगी।


बाजपेयी कचौड़ी: एक नाम, एक भरोसा

बाजपेयी कचौड़ी भंडार सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि लखनऊ की फूड कल्चर का प्रतीक बन चुकी है। यहां की खासियतें:

  • 50 रुपए में पेटभर खाना

  • गरमागरम कचौड़ी और मसालेदार आलू की सब्ज़ी

  • सादा लेकिन स्वादिष्ट रायता

  • हाइजीनिक सर्विस और फास्ट डिलीवरी


मिडिल क्लास के लिए बनी उम्मीद

बाजपेयी कचौड़ी सिर्फ एक ठिकाना नहीं, एक भावना है उन लाखों लोगों के लिए, जो सस्ते और स्वादिष्ट खाने की तलाश में रहते हैं। जब महंगाई हर चीज़ को छू रही है, वहां यह दुकान एक उम्मीद की तरह खड़ी है।


निष्कर्ष:

GST छापे के बाद भी बाजपेयी कचौड़ी की लोकप्रियता में कोई गिरावट नहीं आई है। लखनऊवासियों के लिए यह सिर्फ एक खाने की जगह नहीं, बल्कि स्मृतियों से जुड़ी एक स्वाद यात्रा है। और शायद यही वजह है कि इस दुकान पर आज भी लंबी लाइनें लगी रहती हैं।

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