गोंडा

Gonda News: पोलियो व कोविड की तरह बाल श्रम रोकने के लिए बनाया जाए माइक्रो प्लान

रिपोर्ट: इमरान अहमद

Gonda News: जिलाधिकारी डॉ0 उज्जवल कुमार ने जिला पंचायत सभागार में बाल श्रम उन्मूलन एवं पुनर्वासन, बाल हिंसा बाल विवाह उन्मूलन के प्रति वृहद जन जागरण अभियान का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि यह अभियान काफी सराहनीय प्रयास है। इससे लोगों के बीच बाल श्रम, बाल हिंसा, बाल विवाह आदि को लेकर जागरूक किया जाएगा।

उन्होंने कहा 14 वर्ष से कम के बच्चों से श्रम करवाना बाल श्रम कानून के तहत अपराध है। श्रम विभाग सोशल मीडिया व नुक्कड़ नाटक पंपलेट आदि के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार करवाए। साथ ही उन्होंने कहा कि कमजोर परिवारों को शासन की विभिन्न योजनाएं आवास राशन पेंशन शौचालय आदि से जोड़ा जाए जिससे कि उनके बच्चों को कहीं भी श्रम ना करना पड़े। बाल श्रम को रोकने के लिए संबंधित विभागों द्वारा कार्य योजना बनाकर ग्राम स्तर पर लागू किया जाए। इसमें ग्राम प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधियों गणमान्य व्यक्तियों का भी सहयोग लिया जाए। सभी बच्चों को निश्चित उम्र तक शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा दिलवाई जाए। उन्होंने कहा कि जनपद गोण्डा में चिन्हित कटरा ब्लॉक के साथ-साथ पूरे जनपद में बाल श्रम रोकने की कार्रवाई की जाएगी। 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिलाया जाए तथा उसकी सतत निगरानी भी की जाए उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि कोई भी बच्चा बाल श्रम करने पर मजबूर ना हो बच्चों के अभिभावकों के साथ अंतर व्यक्तिक संवाद स्थापित किया जाए। पोलियो एवं कोविड की तरह माइक्रोप्लान बनाकर बाल श्रम, बाल विवाह को रोका जा सकता है। इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार ने कहा कि संविधान ने बच्चों को कई अधिकार दिए हैं। 18 वर्ष तक के बच्चों से बाल श्रम करवाना प्रतिबंधित है। यदि कोई बच्चा बालश्रम करता हुआ पाया जाए तो उसे श्रम विभाग के टोल फ्री नंबर पर सूचना दें जिससे कि बच्चों को बाल श्रम से छुटकारा दिलाया जा सके। उपायुक्त श्रम अनुभव वर्मा ने कहा कि जिले में बेटियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है जो चिन्ता का विषय है इसलिए मैं हर बेटी के माता पिता से अपील करती हूं कि वे अपने बेटी की शादी नाबालिग अवस्था में कदापि न करें यह संकल्प लेकर जाय। उन्होने कहा कि नाबालिग अवस्था मे शादी करने से वे अल्प आयु में ही मां बन जाती है और इससे जच्चा बच्चा दोनों के ऊपर ही कुप्रभाव पड़ता है तथा वे कुपोषित रहते है। जिले में मात्र एवं शिशु मृत्यु दर भी अधिक है जो चिन्ता का विषय है। बाल विवाह रोके बिना समाज में स्वस्थ्य परम्परा नहीं कायम की जा सकती। इसलिए जनसहयोग से ही इस कुप्रथा को रोका जा सकता है। उन्होने कहा कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नही हैं, जरूरत इस बात की है कि लोग बिना भेदभाव के अपने बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी शिक्षित कर उन्हें आगे बढ़ायें। अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा थाने स्तर पर पीस कमेटियों के माध्यम से बाल श्रम उन्मूलन के संबंध में जागरूकता हेतु सुझाव दिया गया तथा बाल श्रम उन्मूलन में पुलिस विभाग एएचटीयू द्वारा प्रभावी रंग से सहयोग किया जा रहा है तथा बाल श्रम रोकने के लिए श्रम विभाग व अन्य सभी विभागों से समन्वय करके बाल श्रम उन्मूलन एवं पुनर्वासन के संबंध में कार्य किया जाए एवं जिन सेवा योजनाओं द्वारा बाल श्रम कराया जा रहा है उनके विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराए जाने का भी प्राविधान होने से अवगत कराया। इस मौके पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बाल श्रम व बाल विवाह की समस्या को दिखाया गया। कार्यक्रम के दौरान सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा बीएसए, डीपीआरओ, बाल संरक्षण अधिकारी, उपायुक्त श्रम एवं रोजगार, श्रम प्रवर्तन अधिकारी सहित सभी संबंधित अधिकारीगण /कर्मचारी उपस्थित रहे।

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