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Part 2 IC814: काठमांडू से कांधार @1999

आतंकियों का पंथ और नाम क्यों बदल दिया इस सीरीज में?

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Part 2 IC814: यह नेरेटिव समझने की जरूरत है। आखिर आतंकियों के नाम हिंदू करने की क्यों जरूरत पद गई इस सीरीज में? भोला और शंकर। आपको भी गुस्सा आ रहा होगा।

दुनिया को ठीक से याद है। 24 दिसंबर 1999 को एक ऐसी खबर सामने आई थी, जिससे पूरा देश सहम गया था। शाम के करीब 4.30 बजे इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 के अचानक गायब हो जाने की खबर मिली। इस विमान में केवल भारतीय यात्री ही नहीं थे बल्कि ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, इटली, जापान, स्पेन और अमेरिका के नागरिक भी शामिल थे। पहले भारत को लगा था कि आतंकवादियों को मना लिया जाएगा लेकिन जैसे-जैसे दिन बीते भारत सरकार को अपने लोगों का डर सताने लगा और मजबूरन तत्कालीन एनडीए सरकार को बहुत पापड़ बेलने के बाद यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चत करने के लिए तीन आतंकियों को कंधार ले जाकर रिहा करने का फैसला लेना पड़ा था। उस समय यात्रियों के परिवारों ने और उनके समर्थन में दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे लोगों का दबाव भी अटल सरकार के लिए बहुत कठिन चुनौती बन चुका था। इस अपहरण की कहानी को आजकल नेटफ्लिक्स पर किश्तों में दिखाया जा रहा है। जिस तरह इसकी कहानी को भ्रष्ट कर के एक अलग अंदाज में परोसा गया है उससे हर उस भारतीय को क्षोभ होगा जिसने उस कांड को अपने जीवन में देखा है।

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अपहरण के तत्काल बाद ही दुनिया के लिए यह जबरदस्त सनसनी की खबर थी। उस दशक को जिन्होंने देखा है वे ठीक से सब जानते हैं। पहले तो भारत और इसके बाद पूरी दुनिया तक खबर पहुंच गई थी कि भारतीय विमान को हाईजैक कर लिया गया है। यह विमान काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नई दिल्ली के लिए रवाना हुआ था। हमेशा की तरह की इस दिन भी इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट ने काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेक ऑफ किया था, लेकिन किसी को खबर नहीं थी कि विमान में यात्री के तौर पर पांच आतंकवादी भी बैठे हैं। विमान के भारतीय वायु क्षेत्र में पहुंचते ही उन्होंने हथियार के बल पर फ्लाइट को कब्जे में ले लिया। अपहरणकर्ताओं की मांग थी कि फ्लाइट को पाकिस्तान ले जाया जाए।अपहरणकर्ताओं ने विमान को कई स्थानों पर उड़ाने का आदेश दिया। अमृतसर, लाहौर और फारस की खाड़ी से दुबई तक इसे ले जाया गया। बाद में विमान को अफगानिस्तान के कंधार में उतरने के लिए मजबूर किया गया, जो उस समय तालिबान के नियंत्रित था। अपहरणकर्ताओं ने दुबई में 176 यात्रियों में से 27 को रिहा कर दिया, लेकिन एक को घातक रूप से चाकू मार दिया और कई अन्य को घायल कर दिया।

क्यों छोड़े थे 27 यात्री

इन 27 यात्रियों को रिफ्यूलिंग के चलते छोड़ा गया था। ईंधन भरे जाने की एवज में इन यात्रियों की रिहाई पर समझौता हुआ था. रिहा किए गए 27 यात्रियों में महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इन्हें दुबई में रिहा किया गया था। इसके अलावा एक दिन बाद डायबिटीज से पीड़ित एक व्यक्ति को भी रिहा कर दिया गया था। वहीं, कैंसर से पीड़ित के महिला को 90 मिनट के लिए फ्लाइट से जाने की अनुमति दी थी।

आतंकियों की रिहाई की मांग

अपहरण का मकसद भारत की जेल में बंद इस्लामी आतंकवादियों की रिहाई कराना था। एचयूएम (HUM) के साथी सदस्य अहमद उमर सईद शेख, मसूद अजहर और एक कश्मीरी आतंकवादी मुश्ताक अहमद जरगर सहित 36 आतंकियों को रिहा करने की मां रखी गई थी। इसके साथ ही उन्होंने 200 करोड़ अमरीकी डॉलर की भी मांग की थी। अपहरणकर्ता एक कश्मीरी अलगाववादी की लाश की भी मांग कर रहे थे। हालांकि तालिबान के दखल देने के बाद उन्होंने लाश और पैसे की मांग छोड़ दी थी। 24 दिसंबर को हाइजैक किए गए इस विमान को 31 दिसंबर 1999 को सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया। इसी रात सभी यात्रियों को भारत वापस लाया गया। भारत के लिए यह आठ दिन किसी बुरे सपने से कम नहीं थे।

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संजय तिवारी

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