देश

गाजियाबाद से पहले देहरादून में भी फर्जी बेटा बनकर रहा, 30 साल पहले अगवा हुए राजू की कहानी में नया ट्विस्ट

खुद को अपहृत और 30 साल तक बंधक बताने वाले राजू उर्फ भीम सिंह उर्फ पन्नू उर्फ मोनू की कहानी में अब नया मोड़ आ गया है। गाजियाबाद से करीब पांच माह पहले देहरादून में भी वह फर्जी बेटा बनकर रहा था। इस खुलासे के बाद गाजियाबाद पुलिस ने राजू को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। खोड़ा थाने में एक सप्ताह पहले पहुंचे राजू ने पुलिस को बताया था कि वह नोएडा में रहता है। करीब 30 साल पहले कुछ लोग उसे अगवा कर राजस्थान के जैसलमेर ले गए थे। राजू की कहानी अखबारों में प्रकाशित हुई। खबरें छपने के बाद शहीदनगर निवासी तुलाराम परिजनों के साथ खोड़ा थाने पहुंचे थे। उनके मुताबिक, 31 साल पहले उनके सात वर्षीय बेटे भीम उर्फ पन्नू का अपहरण हुआ था, जिसका आज तक पता नहीं चला। राजू ने खुद तुलाराम को अपने पिता और उनकी पत्नी समेत अन्य परिजनों को पहचानने का दावा किया। तुलाराम ने बेटे के अपहरण का केस थाना साहिबाबाद में दर्ज कराया था, जिसमें पुलिस ने एफआर लगा दी थी। वहीं, केस दोबारा खोलने के लिए कोर्ट में आवेदन भी दे चुकी थी। इसी बीच पता चला है कि एक जुलाई 2024 को राजू देहरादून भी पहुंचा था। वहां की पुलिस को भी यही कहानी बताई थी। वहां के एक परिवार ने उसे बेटे मोनू शर्मा के रूप में पहचाना था। राजू ने भी उन्हें पहचानने का दावा किया था तो पुलिस ने उसे परिजनों के सुपुर्द कर दिया था। पुलिस के मुताबिक, राजू वहां चार माह से अधिक रहा और फिर गाजियाबाद चला आया।

इसे भी पढ़ें-हंगामे के बाद पुलिस ने मौलाना समेत 2 को किया गिरफ्तार, मदरसे में गई किशोरी के साथ रेप की कोशिश

परिवार ने उठाई डीएनए जांच की मांग :तुलाराम के मुताबिक, कुछ चीजों पर शुरुआत से शक था। उन्होंने राजू के डीएनए जांच की मांग की है। डीएनए का उनसे मिलान होने पर ही राजू को दोबारा घर लाएंगे। उन्होंने बताया कि उनका बेटा दाएं हाथ से लिखता था। राजू ने बाएं हाथ से अंग्रेजी में अपना नाम लिख दिया। लीलावती ने बताया कि राजू ने दो बार घर से भागने का प्रयास किया।

कुछ देर में बदल गया व्यवहार

राजू ने खुद को बाहरी दुनिया से अनजान और लंबे समय तक बंधक बताया था, मगर तुलाराम के घर पहुंचने के कुछ देर में उसका व्यवहार बदल गया। तुलाराम की पत्नी लीलावती ने बताया कि कुछ ही घंटों बाद वह मोबाइल चलाने लगा। टीवी के रिमोट से चैनल बदलने लगा था

मोबाइल की लोकेशन इंदिरापुरम में मिली

पुलिस के अनुसार, देहरादून से चलते वक्त राजू के पास मोबाइल था। उसकी आखिरी लोकेशन इंदिरापुरम में मिली। मोबाइल कहां गया, इसकी जानकारी की जा रही। वहीं, जैसे ही राजू से पूछताछ शुरू की जाती है, वैसे ही उसे मिर्गी का दौरा पड़ने लगता है और वह गिर जाता है।

बड़ी साजिश की आशंका

राजस्थान का जैसलमेर पाकिस्तान की सीमा से लगा है। इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि उसे किसी ने जानबूझकर ऐसा करने के लिए बोला है या फिर वह खुद ही यह सब कर रहा है। हालांकि, अभी पुलिस किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक इस पूरे प्रकरण में किसी की चाल होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। निमिष पाटील, डीसीपी ट्रांस हिंडन ने कहा, ”राजू का कहना है कि देहरादून का परिवार उसका नहीं था। सवालों के जबाव वह ठीक से नहीं दे पा रहा है। कई बिंदुओं पर राजू से पूछताछ की जा रही है। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

इसे भी पढ़ें-डॉक्टर की बताई इन 2 एक्सरसाइज को जरूर करें ब्रेस्ट कैंसर से बचना है तो

आशा की ‘ममता’ से खेलता रहा

देहरादून में मोनू पांच माह तक आशा शर्मा की ममता से खेलता रहा। अब गाजियाबाद में एक अन्य महिला का बेटा बन गया। इससे दून में रहने वाला परिवार सदमे में है। 25 जून को राजू उर्फ मोनू दून पुलिस के एएचटीयू कार्यालय पहुंचा। वहां उसने करीब 18-19 वर्ष पहले अपहरण होने और बंधक बनाकर रखने की कहानी बताई। एक जुलाई को बंजारावाला निवासी आशा शर्मा पत्नी कपिल देव एएचटीयू कार्यालय पहुंचीं। उनका बेटा मोनू वर्ष 2008 में लापता हो गया था। जब मोनू को आशा शर्मा से मिलवाया गया तो उसने आशा को अपनी मां बताया था। 21 नवंबर को वह घर से चला गया था।

NEWS SOURCE Credit : livehindustan

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button