उत्तर प्रदेशदेश

मिल्कीपुर उपचुनाव: पासी और सवर्ण मतदाताओं के हाथ में जीत की चाबी, भाजपा-सपा में कांटे की टक्कर

अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर भाजपा और सपा के बीच सीधी लड़ाई, पासी और सवर्ण वोटर करेंगे जीत-हार तय

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में पासी और सवर्ण जातियों की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है। भाजपा ने चंद्रभान पासवान को उम्मीदवार बनाया है, जबकि सपा ने अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है। दोनों ही उम्मीदवार पासी समुदाय से हैं,

जिससे इस वर्ग के वोटों के विभाजन की संभावना है। सवर्ण मतदाता, विशेषकर ब्राह्मण और क्षत्रिय, भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट पर सपा की जीत के बाद, भाजपा इस उपचुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न मानकर पूरी ताकत झोंक रही है।

वहीं, सपा भी अपनी सीट बचाने के लिए सक्रिय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव दोनों ने मिल्कीपुर में प्रचार किया है। मतदान 5 फरवरी को होगा, जबकि परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे।

मिल्कीपुर उपचुनाव: वोटरों का गणित और जातिगत समीकरण

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में जातीय समीकरण बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं। कुल 1,92,984 मतदाताओं में पुरुष 1,77,838 और महिला मतदाता 15,146 हैं।

जातिगत आंकड़े (अनुमानित)

अनुसूचित जाति – 90,000

पासी – 65,000

यादव – 62,000

मुस्लिम – 31,000

ब्राह्मण – 63,000

क्षत्रिय – 18,000

चौरसिया – 16,000

मौर्या – 12,000

अन्य (कुर्मी, निषाद, विश्वकर्मा) – 13,829

क्या कहते हैं आंकड़े?

पासी समुदाय निर्णायक भूमिका में है, क्योंकि भाजपा और सपा दोनों ने इसी जाति के उम्मीदवार उतारे हैं।

यादव और मुस्लिम मतदाता पारंपरिक रूप से सपा के समर्थक माने जाते हैं।

ब्राह्मण और क्षत्रिय वोटर भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस ओर झुकते हैं।

अन्य पिछड़ी जातियां (कुर्मी, निषाद, विश्वकर्मा) भी परिणामों में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

इस उपचुनाव में हर जातीय समूह की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, और यह चुनाव भाजपा व सपा दोनों के लिए साख की लड़ाई बन चुका है।

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