रामनगरी अयोध्या में भक्ति की त्रिवेणी, लाखों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
सरयू तट से राम मंदिर तक श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, रामलला को लगे 56 भोग, हनुमान मंदिरों में गूंजे घंटे-घड़ियाल

शनिवार : का दिन अयोध्या के लिए एक ऐसा अध्याय बन गया जिसे श्रद्धालु लंबे समय तक याद रखेंगे।
चैत्र पूर्णिमा, हनुमान जन्मोत्सव और रामलला छठी उत्सव — इन तीनों पर्वों का संयोग अयोध्या में भक्ति की त्रिवेणी बनकर उभरा।
सुबह से ही सरयू घाट से लेकर राम मंदिर, कनक भवन और हनुमानगढ़ी तक श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
रामलला को अर्पित किए गए 56 भोग, हुई भव्य आरती
राम मंदिर में रामलला के छठी उत्सव को विशेष भक्ति भाव से मनाया गया।
इस पावन अवसर पर रामलला को 56 प्रकार के भोग अर्पित किए गए, जिसमें कढ़ी-चावल मुख्य आकर्षण रहा।
दोपहर 12:30 बजे हुई मध्यकालीन आरती में हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।
अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे
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कनक भवन
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श्रीरामबल्लभाकुंज
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दशरथ महल
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रामलला सदन
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लक्ष्मण किला
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रंग महल
में भी भजन, पूजन और आरती के आयोजन हुए।
हनुमान जन्मोत्सव पर गूंजे जयकारे, मंदिरों में आयोजन
हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में हनुमानगढ़ी में सुबह से ही शंखनाद, घंटा-घड़ियाल के साथ उत्सव शुरू हो गया।
श्रद्धालुओं ने हनुमान चालीसा, रामायण पाठ और सुंदरकांड का पाठ कर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।
नाका, सिविल लाइन्स, सहादतगंज और अन्य क्षेत्रों के हनुमान मंदिरों में प्रसाद वितरण और भंडारों का आयोजन किया गया।
चैत्र पूर्णिमा पर स्नान-दान के बाद भक्तों का मठ-मंदिरों की ओर रुख
सुबह भोर में ही श्रद्धालु सरयू नदी के तट पर स्नान के लिए पहुंच गए।
स्नान-दान के बाद पूजा-पाठ और दान कर श्रद्धालु राम मंदिर और अन्य मठ-मंदिरों की ओर निकल पड़े।
अयोध्या की गलियों में भक्ति का ऐसा माहौल था, मानो हर दीवार राम और हनुमान के भजनों से बोल रही हो।
योगी सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए की चाक-चौबंद व्यवस्था
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अयोध्या में व्यवस्था और सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे।
एसएसपी राजकरण नैयर के अनुसार,
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राम मंदिर
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हनुमानगढ़ी
सहित सभी प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे।
श्रद्धालुओं को दर्शन और पूजन में कोई असुविधा न हो, इसके लिए
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PAC बल,
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स्थानीय पुलिस,
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प्रशासनिक अधिकारी
मुस्तैद रहे।
जनसैलाब ने रचा भक्ति का अनुपम दृश्य
अयोध्या में उमड़ी भक्तों की भीड़ ने ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया जिसने हर श्रद्धालु के मन को छू लिया।
रामलला के दर्शन करते हुए, आरती में भाग लेते हुए और मंदिरों में भक्ति में डूबे लोग – यह दृश्य अयोध्या के अध्यात्मिक वैभव को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
अयोध्या का यह अद्वितीय संयोग केवल धार्मिक उत्सव नहीं था, यह एक संवेदनशील और सुव्यवस्थित श्रद्धा उत्सव था।
राम, हनुमान और श्रद्धा के इस महापर्व ने एक बार फिर सिद्ध किया कि अयोध्या न केवल आस्था की राजधानी है, बल्कि सांस्कृतिक एकता और आध्यात्मिकता का केन्द्र भी है।
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