लखनऊ

LU प्रोफेसर डॉ. सौरव बनर्जी का विवादित सोशल मीडिया पोस्ट: ‘पुलवामा के बाद पहलगाम में BJP का खूनी खेल’, 5 दिन में मांगा जवाब

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लखनऊ विश्वविद्यालय : (LU) एक बार फिर विवादों की भेंट चढ़ गया है। यहां के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरव बनर्जी पर सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है।


🔥 विवादित पोस्ट की पंक्तियां बनीं मुद्दा

प्रोफेसर सौरव बनर्जी ने अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा—

“पुलवामा के बाद अब पहलगाम में BJP का खूनी खेल। कब तक सहेंगे यह फासीवाद?”

पोस्ट में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी पर हमला बोला गया, जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने “अनुशासनहीनता और आपत्तिजनक राजनीतिक टिप्पणी” माना है।


⚖️ प्रशासन का रुख:

LU प्रशासन ने डॉ. सौरव बनर्जी को शो-कॉज नोटिस जारी करते हुए 5 दिन के भीतर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि

“शिक्षकों का आचरण संस्थान की गरिमा का प्रतीक होता है। सार्वजनिक मंच पर राजनीतिक या देशविरोधी टिप्पणी करना स्वीकार्य नहीं है।”


🗣️ प्रोफेसर की सफाई:

हालांकि, डॉ. सौरव बनर्जी ने अपनी पोस्ट पर सफाई देते हुए कहा है कि,

“मैंने बतौर नागरिक अपने विचार साझा किए हैं। यह किसी संस्था या छात्र पर कोई प्रभाव नहीं डालते। मैं संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग कर रहा हूँ।”


👥 राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:

  • ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) ने LU गेट पर विरोध प्रदर्शन किया और प्रोफेसर की बर्खास्तगी की मांग की।
  • NSUI और अन्य प्रगतिशील संगठनों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कार्रवाई को तानाशाही बताया।

📌 इससे पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले:

लखनऊ विश्वविद्यालय में बीते दो वर्षों में तीन बार शिक्षकों के सोशल मीडिया पोस्ट विवादों में आए हैं, जिनमें से कुछ पर विभागीय जांच भी हुई थी। इससे पहले भी डॉ. सौरव बनर्जी एक छात्र संगठन के समर्थन में बयान देकर विवादों में रह चुके हैं।


📝 निष्कर्ष:

शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भूमिका केवल शिक्षण तक सीमित नहीं रह गई है। आज जब सोशल मीडिया सार्वजनिक संवाद का अहम माध्यम बन चुका है, ऐसे में शिक्षकों की व्यक्तिगत पोस्ट भी संस्था की छवि पर असर डाल सकती हैं। अब देखना यह होगा कि डॉ. बनर्जी की सफाई के बाद प्रशासन क्या फैसला लेता है।

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