उपराष्ट्रपति को पत्नी ने समोसा नहीं खाने दिया, योगी ने स्टील के गिलास में पिया नींबू पानी: सेक्रेटरी की मां ने बताईं मुलाकात की अनसुनी बातें

लखनऊ : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक सामान्य से घर पहुंचने और सादगी से भरी मुलाकात ने सभी को भावुक कर दिया। मौका था उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की मां से भेंट का, लेकिन यह मुलाकात मानवीयता, सादगी और संस्कारों का प्रतीक बन गई।
24 सीढ़ियों का सफर और सादगी से भरी शिष्टाचार भेंट
सेक्रेटरी की मां बताती हैं, “हमारे घर के बाहर गाड़ियों का लंबा काफिला रुका। 24 सीढ़ियां चढ़कर उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री ऊपर आए। हॉल में प्रवेश करते ही हमारे पति ने गुलदस्ता भेंट कर उनका स्वागत किया। उपराष्ट्रपति ने मुस्कुराकर कहा, ‘आप खड़े मत होइए, आपकी तबीयत ठीक नहीं है।’”
यह एक ऐसा दृश्य था जो सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्तियों की मानवीयता को दर्शाता है।
समोसे पर रोक और योगी का नींबू पानी
सेक्रेटरी की मां ने बताया कि उन्होंने मेहमानों के लिए समोसे और नींबू पानी का इंतजाम किया था। लेकिन जैसे ही उपराष्ट्रपति ने समोसे की ओर हाथ बढ़ाया, उनकी पत्नी ने मुस्कुराते हुए रोकते हुए कहा, “आपको नहीं खाना है!” पूरा माहौल हंसी में बदल गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्टील के गिलास में नींबू पानी मंगवाया और सादगी से पीते रहे। न कोई दिखावा, न कोई विशेष आग्रह—केवल आत्मीयता और सहजता।
मुलाकात में छुपा संदेश: सत्ता में भी सहजता जरूरी
यह मुलाकात केवल एक सामाजिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह एक उदाहरण था कि सत्ता में बैठे लोग जब जमीन से जुड़े रहते हैं, तो उनका आचरण लोगों के दिलों को छू जाता है।
उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री का यह व्यवहार उन नेताओं के लिए मिसाल है, जो सादगी और जनता से जुड़ेपन को भूल चुके हैं।
निष्कर्ष:
सत्ता के गलियारों से दूर, यह घटना एक सामाजिक संदेश छोड़ गई—कि बड़े पदों पर बैठने के बाद भी इंसान अगर अपनी सादगी और मानवीयता बनाए रखे, तो वह केवल नेता नहीं बल्कि प्रेरणा बन जाता है। यह मुलाकात राजनीति के उस कोमल और सहज पक्ष को दिखाती है, जो अक्सर कैमरों से परे रह जाता है।