बिकरू कांड के आरोपी गैंगस्टर जयकांत बाजपेई सहित तीन भाइयों को नजीराबाद कोर्ट ने किया बरी
7 साल पहले के बलवा और मारपीट मामले में पुलिस जांच में कमी, सबूतों के अभाव में फैसला, जय अभी भी जेल में अन्य मामलों में बंद

कानपुर देहात। नजीराबाद थाना क्षेत्र में 7 साल पहले दर्ज बलवा और मारपीट के मामले में गैंगस्टर जयकांत बाजपेई और उनके तीन भाइयों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। यह फैसला पुलिस जांच में कमी और पर्याप्त सबूतों के अभाव को ध्यान में रखते हुए सुनाया गया। हालांकि, जयकांत बाजपेई अभी भी बिकरू कांड समेत कई अन्य गंभीर मामलों में कानपुर देहात जेल में बंद हैं।
मामले का विवरण
यह मामला नजीराबाद थाना क्षेत्र में लगभग 7 साल पहले दर्ज किया गया था, जिसमें जयकांत बाजपेई और उसके भाइयों पर बलवा व मारपीट का आरोप था। कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद अब यह मामला समाप्त हो गया, जब कोर्ट ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूतों को अपर्याप्त मानते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
बिकरू कांड में स्थिति
जयकांत बाजपेई का नाम कानपुर देहात के चर्चित बिकरू कांड में भी सामने आया था। उस कांड के संबंध में वह वर्ष 2020 से कानपुर देहात जेल में बंद हैं। यहां तक कि इस बरी होने के बाद भी वह कई अन्य मामलों में जेल में ही रहेंगे।
पुलिस जांच पर सवाल
इस फैसले के बाद पुलिस जांच की गुणवत्ता और सबूत इकट्ठा करने की प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि अपराध नियंत्रण के लिए प्रभावी जांच और मजबूत सबूत एक अनिवार्य प्रक्रिया है। इस मामले में जांच में कमी ने अभियोजन पक्ष को नुकसान पहुंचाया है।
निष्कर्ष:
जयकांत बाजपेई और उसके तीन भाइयों की नजीराबाद कोर्ट द्वारा बरी किए जाने से यह स्पष्ट होता है कि अपराध मामलों में सटीक और प्रभावी जांच का कितना बड़ा महत्व होता है। बिकरू कांड जैसे संवेदनशील मामलों में भी न्यायालय का फैसला हमेशा सबूतों पर निर्भर करता है।