लखनऊ

विनय शंकर तिवारी को 45 दिन बाद मिली जमानत, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ED को लगाई फटकार

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 45 दिनों की कड़ी न्यायिक जद के बाद उन्हें जमानत प्रदान की है। विनय शंकर तिवारी पर करीब 754 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है, जिस मामले में उन्हें प्रारंभ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था।


754 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में ED ने किया था गिरफ्तार

विनय शंकर तिवारी पर 754 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी करने का आरोप है, जिसके तहत वे इस मामले की जांच के दौरान हिरासत में थे। हालांकि उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही मामले की गहराई और जांच प्रक्रिया पर कई सवाल उठते रहे हैं। ED की जांच को कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाते हुए कई बार फटकार लगाई है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ED की जांच प्रक्रिया पर लगाई फटकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विनय शंकर तिवारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय की जांच प्रक्रिया की जांच में देरी और कुछ कदमों पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी को निष्पक्ष, त्वरित और पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए, न कि बिना वजह गिरफ्तारी और लंबी न्यायिक हिरासत का सहारा लेना चाहिए।


विनय शंकर तिवारी को मिली जमानत, राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज़

विनय शंकर तिवारी को जमानत मिलने के बाद राजनीतिक गलियारे में इस मामले पर चर्चा तेज हो गई है। सपा नेता इस फैसले को बड़ी जीत मान रहे हैं जबकि विपक्ष इस पर सवाल उठा रहा है। इस मामले को राजनीति से अलग कर न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप देखने की अपील भी की जा रही है।


केस की वर्तमान स्थिति और आगे की संभावनाएं

वर्तमान में विनय शंकर तिवारी जमानत पर हैं और जांच जारी है। ED को कोर्ट में अपना पक्ष मजबूत करना होगा ताकि आगे की कार्रवाई संभव हो सके। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जमानत जांच के पूर्ण समापन का अंत नहीं है और यदि जांच में कोई गंभीर तथ्य पाए जाते हैं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।


निष्कर्ष

754 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में विनय शंकर तिवारी की जमानत उनकी पक्ष में एक बड़ी राहत है। कोर्ट ने जांच एजेंसी ED को सावधानी बरतने और निष्पक्ष जांच करने के लिए निर्देश दिए हैं। इस मामले पर आने वाले दिनों में और भी कानूनी कार्यवाही की संभावना है, जो राजनीति और न्याय दोनों की निगाहों में है।

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