6 महीने में दूसरी बार उठीं एक साथ 3 अर्थियां: लखनऊ में खाटू श्याम यात्रा के दौरान हादसे में मां और दो बेटों की मौत

लखनऊ: शुक्रवार सुबह लखनऊ के नगराम थाना क्षेत्र के हरदोइया गांव में चीख-पुकार और सन्नाटा एक साथ पसरा था। गांव की गलियों से एक साथ तीन अर्थियां निकलीं — मां, और उसके दो बेटों की। एक तरफ ममतामयी मां रामलली, दूसरी ओर बेटे राहुल और नितिन। तीनों खाटू श्याम धाम के दर्शन को जा रहे थे, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था।
हादसे की रात: जयपुर हाईवे पर हुआ ट्रक से टकराव
गुरुवार देर रात जयपुर हाईवे पर उनकी कार एक तेज रफ्तार ट्रक से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए और मौके पर ही तीनों की मौत हो गई। शुक्रवार सुबह 3 बजे जब शव गांव पहुंचे, तो हर आंख नम थी और पूरा गांव शोक में डूब गया।
पिता बेसुध, गांव में मातम
मृतकों के पिता लालजी शवों को देखकर बेसुध हो गए। उन्होंने चुपचाप अपने परिवार को खो देने का दर्द आंखों से बहने दिया। परिवार पहले से ही एक हादसे का शिकार था — 6 महीने पहले घर की बड़ी बेटी की भी असमय मृत्यु हो गई थी।
श्रद्धा की यात्रा बनी अंतिम यात्रा
राहुल, नितिन और रामलली खाटू श्याम के दर्शन के लिए गए थे। उन्हें गहरी श्रद्धा थी और सालों से हर साल यह यात्रा करते थे। लेकिन इस बार यह यात्रा उन्हें भगवान के द्वार तक तो ले गई, पर ज़िंदा नहीं।
गांव वालों ने दी अंतिम विदाई
गांव के सैकड़ों लोग शुक्रवार सुबह अंतिम यात्रा में शामिल हुए। तीनों शवों को एक ही साथ अर्थियों पर सजाया गया और अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। पूरे गांव में मातम छाया रहा। लोगों ने बताया कि राहुल और नितिन बेहद मिलनसार और सेवा-भाव से भरपूर युवक थे।
प्रशासन की चुप्पी पर नाराजगी
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस हाईवे पर यह हादसा हुआ, वहां स्ट्रीट लाइट्स नहीं हैं और ट्रकों की गति नियंत्रण में नहीं होती। प्रशासन से कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।
समाप्ति नहीं, शुरुआत है पीड़ा की
अब लालजी अकेले हैं। 6 महीने में दो बड़े हादसों ने उनका पूरा परिवार छीन लिया। उन्होंने जो शब्द कहे, वो आज भी हर किसी को झकझोर रहे हैं —
“अब मेरे पास न बेटा रहा, न बहू, न बेटी — बस यादें हैं और एक खामोश घर।”