मध्यप्रदेश के रीवा में कोर्ट मैरिज करने आए कपल को भीड़ ने पीटा, धार्मिक संगठन के लोगों ने रोकी शादी, कोर्ट स्टाफ पर जानकारी लीक करने का आरोप

रीवा (मध्यप्रदेश): मध्यप्रदेश के रीवा जिले में एक हिंदू-मुस्लिम इंटरफेथ कपल को कोर्ट मैरिज के लिए आना महंगा पड़ गया। जैसे ही वकील ने दस्तावेजों से कपल की धार्मिक पहचान जानी, कुछ ही मिनटों में धार्मिक संगठनों के लोगों की भीड़ कोर्ट परिसर में पहुंच गई और कपल के साथ मारपीट शुरू कर दी गई। आरोप है कि इस घटना में कुछ वकीलों और कोर्ट स्टाफ ने कपल की जानकारी जानबूझकर लीक की, जिससे भीड़ को उन्हें पहचानने और रोकने का मौका मिला।
क्या है पूरा मामला?
रीवा कोर्ट में शुक्रवार को 27 वर्षीय मुस्लिम युवक और 21 वर्षीय हिंदू युवती अपनी मर्जी से कोर्ट मैरिज के लिए पहुंचे थे। उन्होंने पहले से आवेदन कर रखा था और दस्तावेजों की जांच के लिए आए थे। जब वकील ने उनका आवेदन और आधार कार्ड देखा, तो कथित तौर पर मामला “लव जिहाद” का करार देकर अन्य वकीलों और कोर्ट स्टाफ को जानकारी दी। इसके बाद कुछ ही देर में धार्मिक संगठन से जुड़े कई लोग कोर्ट परिसर में जमा हो गए।
भीड़ ने पहले युवक के साथ गाली-गलौच की और फिर कपल को जबरन कोर्ट से बाहर खींचकर सरेआम पिटाई की। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुलिस मौके पर देरी से पहुंची और जब पहुंची तो सिर्फ मामला शांत करने की कोशिश की।
कोर्ट स्टाफ और वकीलों पर गंभीर आरोप
कपल के परिजनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस घटना में कोर्ट के अंदर काम करने वाले कुछ वकील और कर्मचारी भी शामिल थे, जिन्होंने जानबूझकर कपल की धार्मिक जानकारी लीक की, ताकि भीड़ जुटाई जा सके।
रीवा बार एसोसिएशन की तरफ से कोई स्पष्ट बयान अभी तक नहीं आया है, लेकिन कई वकीलों ने घटना की आलोचना करते हुए इसे न्यायिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन बताया है।
धार्मिक संगठन और “लव जिहाद” का एंगल
घटना के पीछे धार्मिक संगठन का हाथ होने की भी बात सामने आ रही है। ऐसे संगठनों ने पहले भी राज्य के अलग-अलग हिस्सों में इंटरफेथ शादियों का विरोध किया है, और उन्हें “लव जिहाद” का मामला बताकर रोकने की कोशिश की है।
हालांकि, इस मामले में कपल दोनों बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से शादी का फैसला लिया था। फिर भी, उन्हें न केवल कानूनी प्रक्रिया से रोका गया बल्कि सार्वजनिक रूप से अपमानित और पीटा भी गया।
संविधान की अवमानना?
भारत का संविधान हर नागरिक को धर्म, जाति, लिंग से परे जाकर स्वतंत्रता से विवाह करने का अधिकार देता है। इस घटना ने उन संवैधानिक अधिकारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि यदि कोर्ट परिसर जैसा सुरक्षित स्थान भी धार्मिक असहिष्णुता और भीड़तंत्र से नहीं बच पा रहा, तो आम लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता कैसे सुरक्षित रह पाएगी?
निष्कर्ष
रीवा कोर्ट में हुई यह घटना केवल एक कपल की शादी पर हमला नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता, कानून व्यवस्था और संविधान के मूल्यों पर भी हमला है। इस पूरे घटनाक्रम में जहां प्रशासन की निष्क्रियता दिखी, वहीं कोर्ट स्टाफ और वकीलों की भूमिका भी जांच के घेरे में है। अब देखना यह है कि क्या दोषियों पर कार्रवाई होती है या यह मामला भी केवल सुर्खियों तक सिमट कर रह जाएगा।