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भोपाल में ओपी शर्मा के भव्य जादू शो का समापन, आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक ने बताया जादू समाजसेवा का माध्यम

भोपाल: में दो माह तक चले अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त जादूगर ओपी शर्मा के भव्य जादू शो का समापन भारत टाकीज में एक शानदार कार्यक्रम के साथ हुआ। इस समापन समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी थे, जिन्होंने इस अवसर पर जादू को एक जीवंत सांस्कृतिक कला के रूप में वर्णित किया।


जादू केवल भ्रम नहीं, बल्कि कौशल और सांस्कृतिक विरासत का संगम

प्रो. संजय द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि जादू केवल दिखावे या भ्रम का नाम नहीं, बल्कि कल्पनाशक्ति, कौशल और सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत रूप है। उन्होंने बताया कि जादूगर ओपी शर्मा की कला दर्शकों को न केवल चकित करती है, बल्कि मनोरंजन के साथ-साथ समाजसेवा और देशभक्ति के संदेश भी देती है।

“ओपी शर्मा जी की प्रस्तुतियों में परिश्रम, निरंतर अभ्यास और नवाचार की झलक साफ दिखाई देती है। वे जादू को एक माध्यम बनाकर समाज को जोड़ते हैं।”


ओपी शर्मा का सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

प्रो. द्विवेदी ने आगे कहा कि ओपी शर्मा न केवल भारत के प्रमुख जादूगरों में से एक हैं, बल्कि वे अपनी प्रस्तुतियों में देशभक्ति, सामाजिक संदेश और मानवीय मूल्यों को भी बखूबी समाहित करते हैं। उनके शो में हैंड ट्रिक्स, इल्यूजन एक्ट्स, फ्लोटिंग ऑब्जेक्ट्स, और मानसिक शक्ति के प्रयोग दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ओपी शर्मा जूनियर ने अपने पिता की विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है और भारत में जादू कला के प्रसार में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।


जादू से भरा मंच, आश्चर्यचकित दर्शक

समापन समारोह के दौरान मंच और सभागार दोनों ही जादुई वातावरण से गूंज रहे थे। दर्शकों ने बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट से अपनी प्रशंसा जताई। इस दौरान कई चमत्कारी जादुई करतब जैसे कटी हुई महिला का पुनः जुड़ना, हवा में उड़ती मेज, गायब होती वस्तुएं, और पढ़े बिना दिमाग पढ़ने जैसे अनोखे प्रयोगों ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।


माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय का भी समर्थन

कार्यक्रम में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डा. पवित्र श्रीवास्तव भी उपस्थित थे, जिन्होंने कहा,

“ऐसे आयोजन समाज में आश्चर्य और आनंद फैलाते हैं। बच्चों के चेहरे पर आश्चर्य और बुजुर्गों की मुस्कान यह दर्शाती है कि जादू आज भी लोगों के दिलों को छूता है।”


ओपी शर्मा को विशेष सम्मान से नवाजा गया

शो के समापन पर जादूगर ओपी शर्मा को उनकी कला में दशकों से किए जा रहे योगदान और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए विशेष सम्मान प्रदान किया गया। इस सम्मान समारोह ने जादू कला के महत्व और उसकी सांस्कृतिक गहराई को उजागर किया।


निष्कर्ष

जादू केवल मनोरंजन का जरिया नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक कला है जो कल्पना, कौशल और परिश्रम के साथ समाज को जोड़ती है। ओपी शर्मा जैसे कलाकारों के योगदान से यह कला नई पीढ़ी तक पहुंच रही है और भारतीय सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध कर रही है। प्रो. संजय द्विवेदी का यह बयान इस कला की अहमियत को बखूबी दर्शाता है कि जादू सिर्फ भ्रम नहीं, बल्कि जीवन की एक सजीव अभिव्यक्ति है।

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