‘नहर में गिरी नहीं थी अंकिता…उसे जबरदस्ती फेंका गया था’, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुला हत्या का राज

उत्तराखंड: के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार न्याय की जीत हुई। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए तीनों हत्यारोपियों को IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत कठोरतम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
🧪 पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला सच:
एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों द्वारा की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट इस केस की सबसे मजबूत कड़ी साबित हुई। इसमें यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि अंकिता की मौत नहर में गिरने से नहीं हुई, बल्कि उसे जबरदस्ती एक झटके में फेंका गया था। रिपोर्ट ने “सडन एस्कलरेशन ऑफ बॉडी” थ्योरी को सही साबित किया।
👨⚖️ कोर्ट ने माना: यह ‘आपराधिक मानव वध’ था:
अभियोजन पक्ष ने अदालत के समक्ष 1991 के जाहर लाल बनाम ओडिशा राज्य मामले का उदाहरण पेश किया। कोर्ट ने माना कि अंकिता की मौत दुर्घटना नहीं बल्कि जानबूझकर की गई हत्या थी। क्राइम सीन विजिट, मृतका के शरीर पर चोटों और डॉक्टरों की रिपोर्ट ने ये साबित कर दिया कि उसे अचानक और बलपूर्वक नहर में फेंका गया।
🧩 गवाह नहीं, फिर भी मजबूत साक्ष्य:
रिजॉर्ट के CCTV खराब होने और कर्मचारियों द्वारा गुमराह करने की कोशिश के बावजूद, फॉरेंसिक टीम और विशेषज्ञ डॉक्टरों ने साक्ष्य जुटाकर केस को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाया।
❌ दुष्कर्म की बात नहीं आई सामने:
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि अंकिता के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। इससे मामले को दुर्घटना साबित करने की बचाव पक्ष की रणनीति भी नाकाम रही।
🧵 न्याय की डोर तक:
18 सितंबर 2022 को अंकिता भंडारी लापता हुई थीं और 25 सितंबर को उनका शव चीला नहर से मिला था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था और अब अदालत के फैसले से अंकिता को न्याय मिला है।