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देश के अंतिम नागरिक तक न्याय पहुंचाना हमारा मौलिक कर्तव्य: सीजेआई जस्टिस बीआर गवई

प्रयागराज: भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (जस्टिस बीआर गवई) ने शनिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नवनिर्मित चैंबर्स व मल्टीलेवल पार्किंग भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा,

“देश के अंतिम नागरिक तक न्याय पहुंचाना हमारा मौलिक कर्तव्य है।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत का संविधान 75 वर्षों में न केवल देश को प्रगति की ओर ले गया, बल्कि हर संकट के समय उसे एकजुट रखने का भी कार्य किया है।


संविधान ने दिया सामाजिक और आर्थिक न्याय

मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि संविधान निर्माण के बाद कार्यपालिका और न्यायपालिका ने ऐसे अनेक कानून बनाए हैं, जिन्होंने सामाजिक व आर्थिक समानता लाने में अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जमींदारों से ज़मीन लेकर किसानों को दी गई और लेबर क्लास को सशक्त किया गया। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के ऐतिहासिक भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि

“जब तक हम असमानता को दूर नहीं करेंगे, तब तक सच्चा लोकतंत्र स्थापित नहीं हो सकता।”


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार

मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य भवन के निर्माण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सक्रिय भूमिका की सराहना की और उनका आभार जताया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से राज्य के अन्य जनपदों में भी न्यायिक ढांचे को सुदृढ़ किया जा रहा है।


प्रयागराज की ऐतिहासिक भूमिका का स्मरण

जस्टिस गवई ने प्रयागराज की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भूमि विधिक, साहित्यिक और स्वतंत्रता संग्राम के गौरवपूर्ण इतिहास से जुड़ी है।

“यह भूमि मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, तेज बहादुर सप्रू जैसे विधिक विद्वानों की रही है।
साथ ही महादेवी वर्मा, बच्चन जी, पंत, निराला जैसे हिंदी साहित्यकारों की कर्मभूमि भी है।”


दुनिया में वकीलों के लिए सबसे बड़ी सुविधा

सीजेआई ने कहा कि उन्होंने देश-विदेश में कई न्यायिक इमारतें देखी हैं, लेकिन

“इतनी विशाल और आधुनिक सुविधाओं से युक्त वकीलों की इमारत दुनिया में कहीं नहीं देखी।”

उन्होंने कहा कि यह न केवल न्यायाधीशों और वकीलों के लिए है, बल्कि इसमें वादकारियों और आम नागरिकों के लिए भी सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं, जिनमें विकलांगजन और महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान भी शामिल हैं।


बार और बेंच की साझेदारी जरूरी

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस भव्य भवन का निर्माण तभी संभव हो पाया जब न्यायमूर्तियों ने अपने आवासीय बंगलों का बलिदान किया।
उन्होंने कहा,

“जब तक बार और बेंच एक साथ कार्य नहीं करते, तब तक न्याय का रथ आगे नहीं बढ़ सकता।”


अहिल्याबाई होलकर की जयंती पर उद्घाटन: न्याय भावना का प्रतीक

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अहिल्याबाई होलकर की जयंती पर इस भवन का उद्घाटन होना न्याय और समाज सेवा की भावना का प्रतीक है। उन्होंने इसे एक गौरवपूर्ण क्षण बताया।


निष्कर्ष (Conclusion):

मुख्य न्यायाधीश का यह संबोधन भारत में न्याय प्रणाली की पारदर्शिता, समावेशिता और आम नागरिक तक इसकी पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत संकेत है।
यह उद्घाटन न केवल एक भव्य संरचना का लोकार्पण है, बल्कि भारतीय न्यायपालिका की मूल भावना को आगे बढ़ाने का भी सशक्त उदाहरण है।

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