पाकिस्तान ने ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए किया नामित: कहा- भारत-पाक जंग टालने में निभाई अहम भूमिका

इस्लामाबाद/वॉशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वजह है — नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उनका नामांकन। पाकिस्तान सरकार ने उन्हें 2026 के नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया है। पाक का दावा है कि ट्रम्प की कूटनीतिक पहल और मध्यस्थता ने भारत-पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को टालने में अहम भूमिका निभाई।
🕊️ पाकिस्तान की दलील: “एक बड़ा युद्ध टल गया”
पाकिस्तान की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है:
“ट्रम्प प्रशासन के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था। लेकिन उनकी मध्यस्थता ने एक बड़े सैन्य संघर्ष को रोक दिया। यह वैश्विक शांति की दिशा में एक बड़ा कदम था, जिसकी सराहना की जानी चाहिए।”
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से नोबेल पुरस्कार समिति को यह नामांकन भेजा है।
🇺🇸 ट्रम्प की प्रतिक्रिया: ‘मैं कुछ भी कर लूं, नोबेल नहीं मिलेगा’
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी विशिष्ट शैली में प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“मैंने इजराइल-यूएई शांति समझौता कराया, उत्तर कोरिया को रोका, भारत-पाक तनाव कम कराया — लेकिन मैं कुछ भी कर लूं, मुझे नोबेल शांति पुरस्कार कभी नहीं मिलेगा।”
ट्रम्प इससे पहले 14 बार यह दावा कर चुके हैं कि उनकी पहल ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका।
🌍 ट्रम्प के अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रयास
ट्रम्प की विदेश नीति को लेकर हमेशा तीखी बहस रही है, लेकिन कुछ वैश्विक मामलों में उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता:
- अब्राहम समझौता (2020): इजराइल और यूएई के बीच ऐतिहासिक समझौता।
- उत्तर कोरिया से वार्ता: किम जोंग उन से तीन बार मुलाकात कर तनाव को कुछ हद तक कम किया।
- भारत-पाक पर बयान: कश्मीर मुद्दे पर कई बार मध्यस्थता की पेशकश की।
🏆 क्या ट्रम्प को वाकई नोबेल मिलेगा?
नोबेल पुरस्कार समिति अपने निर्णयों को लेकर बेहद गोपनीय होती है। हालांकि, किसी देश द्वारा नामांकित किए जाने का यह मतलब नहीं कि पुरस्कार मिल ही जाएगा। यह समिति की जांच और चयन प्रक्रिया पर निर्भर करता है।
📌 निष्कर्ष:
पाकिस्तान द्वारा डोनाल्ड ट्रम्प का नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से एक बड़ा बयान है। यह भारत-पाक रिश्तों में अमेरिका की भूमिका और वैश्विक राजनीति में ट्रम्प की छवि को फिर से केंद्र में लाता है।
अब देखना यह है कि क्या 2026 में नोबेल समिति डोनाल्ड ट्रम्प के नाम पर मुहर लगाती है या नहीं।