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खड़गे का मोदी पर तीखा हमला: कहा- विश्वगुरु हों या घर के गुरु, जनता को रोटी, कपड़ा और छत चाहिए

कांग्रेस: अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को कर्नाटक के रायचूर में आयोजित एक जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला।
खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री चाहे “विश्वगुरु” हों या “घर के गुरु”, लेकिन देश की आम जनता को सबसे पहले रोटी, कपड़ा, ईंधन और छत की जरूरत है।

उन्होंने कहा,

“मोदी जी को चाहिए कि वे इन मूलभूत जरूरतों पर ध्यान दें, न कि केवल भाषणों और प्रचार में व्यस्त रहें।”


ईरान-इजराइल संघर्ष पर भारत की चुप्पी पर सवाल:

खड़गे ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत को ईरान-इजराइल के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की दिशा में पहल करनी चाहिए थी।
उन्होंने याद दिलाया कि ईरान भारत का पुराना और भरोसेमंद साझेदार रहा है, जिससे भारत अपनी ईंधन जरूरतों का लगभग 50 प्रतिशत आयात करता रहा है।


विपक्ष के प्रति असम्मान का आरोप:

खड़गे ने प्रधानमंत्री पर यह भी आरोप लगाया कि वह हमेशा विपक्ष को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री शामिल नहीं हुए, जो यह दर्शाता है कि उनके मन में विपक्ष के प्रति कोई सम्मान नहीं है।


सेना और प्रचार के बीच प्राथमिकता का सवाल:

खड़गे ने तीखा तंज कसते हुए कहा,

“अगर मोदी सेना में होते तो हम उनके बहादुरी भरे काम की सराहना करते। लेकिन उस समय वे बिहार चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, जब देश आतंकवाद से जूझ रहा था।”


खड़गे बोले- मोदी ने 11 साल में की 33 गलतियां:

जनसभा के दौरान खड़गे ने मोदी सरकार के 11 साल के शासन को लेकर एक बार फिर से निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इन वर्षों में 33 गंभीर गलतियां की हैं, लेकिन उनमें से किसी को भी स्वीकार नहीं किया।

खड़गे ने कहा,

“मैं 65 साल से राजनीति में हूं, लेकिन मोदी जैसा झूठ बोलने वाला प्रधानमंत्री पहले कभी नहीं देखा। वे सवालों से भागते हैं और अपनी गलतियों को कबूल नहीं करते।”


पृष्ठभूमि:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जून 2024 को अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली थी। 26 मई 2014 को पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी सरकार ने इस वर्ष अपना 11वां स्थापना वर्ष मनाया है।


निष्कर्ष:

मल्लिकार्जुन खड़गे के इस भाषण ने एक बार फिर केंद्र सरकार की नीतियों, अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर चुप्पी और विपक्ष के साथ व्यवहार पर बहस छेड़ दी है।
लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस नेतृत्व की यह आक्रामक शैली प्रधानमंत्री और भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

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