गडकरी बोले- परियोजनाओं के लिए धन की नहीं, सोच की है कमी; नौकरशाही पर लचीलापन न दिखाने का आरोप

केंद्रीय: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को एक अहम बयान देते हुए कहा कि देश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन की कोई कमी नहीं है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती है- नौकरशाही में लचीलापन और नवाचार की कमी।
“धन नहीं, सोच की कमी है”: गडकरी
गडकरी ने पुणे में पूर्व नौकरशाह विजय केलकर को ‘पुण्यभूषण पुरस्कार’ दिए जाने के मौके पर कहा—
“हमारे पास एक लाख करोड़, दो लाख करोड़ या पचास हजार करोड़ की परियोजनाओं के लिए पैसा है। लेकिन नौकरशाह लीक से हटकर सोचने से मना कर देते हैं। यह सबसे बड़ी बाधा है।”
उन्होंने आगे कहा—
“अधिकतर अधिकारी किसी भी तरह के नवाचार या वैकल्पिक सोच को प्राथमिकता नहीं देते। परंतु विजय केलकर जैसे अधिकारी इस सोच से अलग हैं।”
पत्रकारों को कहा- मेरी घोषणाएं रिकॉर्ड करो
गडकरी ने कार्यक्रम में मौजूद पत्रकारों से भी कहा कि—
“मैं जो बोलता हूं, आप उसे रिकॉर्ड करिए। अगर वह समय पर पूरा न हो तो उसे ब्रेकिंग न्यूज बना देना। मैं सिर्फ घोषणाएं नहीं करता, परिणाम देता हूं।”
विजय केलकर को बताया ‘अपवाद’
पूर्व नौकरशाह विजय केलकर के कार्यकाल की सराहना करते हुए गडकरी ने कहा कि—
“केलकर ने नौकरशाही में रहते हुए भी लचीलापन दिखाया और नवाचार को स्वीकारा। ऐसे अधिकारी दुर्लभ होते हैं।”
विकास और नवाचार को लेकर बड़ा संकेत
गडकरी का यह बयान केवल नौकरशाही की आलोचना नहीं बल्कि एक संकेत भी है कि केंद्र सरकार अब सिर्फ धन के बल पर नहीं, सोच और प्रणाली में बदलाव के जरिए विकास की दिशा तय करना चाहती है।
निष्कर्ष:
नितिन गडकरी का बयान देश की नौकरशाही व्यवस्था के उस पहलू को उजागर करता है, जहां रचनात्मक सोच की कमी अक्सर बड़ी योजनाओं में देरी या अड़चन का कारण बनती है।
जहां एक ओर सरकार बड़े निवेश और योजनाओं की घोषणा कर रही है, वहीं उनकी सफलता के लिए सिस्टम में लचीलापन और जोखिम लेने की इच्छा भी उतनी ही जरूरी है।