विचार
“नई राह के गीत: उम्मीद, संघर्ष और आत्मा की पुकार”


लेखिका- दीपंजली शर्मा
शीर्षक- नई राह का राग”
धूप ने छू ली अँधियारी,
मन में जागी रोशनी।
भीड़ में भी कुछ कहाना,
बन गई अब ज़िंदगी।
छोटे-छोटे पाँव चलकर,
थामते हैं आस को।
रंग बुनते स्वप्न नए से,
हर समय के पास को।
चौराहों पर वक्त ठहरा,
हर दिशा में शोर है।
तारों के भी गीत बिखरे,
यह नगर तो और है।
शोर में भी सुन रहे हम,
मौन की जो बात है।
अनकहे एहसासों में भी,
छुपा कोई साथ है।
धूल में लिपटी उम्मीदें,
फिर भी आँखें नम नहीं।
कुछ अधूरे स्वप्न हैं पर,
हौसला भी कम नहीं।
सूखे अधरों पर भी मुस्कान,
रंगों सी उग आती है।
टूटी काँपती राहों में भी,
मन रचना रच जाती है।
जो जले हैं दीप बनकर,
उनसे रस्ता माँगते।
हर कठिन पल को भी हमने,
गीत बनकर गा दिए।
आँधियों में दीप थामे,
हम चलें हैं साथ में।
हर चुनौती गीत बनकर,
गूँजती है बात में।
लेखिका- दीपंजली शर्मा
बीसोखोर कटहरी बाज़ार
जनपद- महराजगंज