भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु एक्सियम मिशन-4 के जरिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना हुए, लॉन्चिंग पर भावुक हुए माता-पिता

“व्हाट ए राइड!” – शुभांशु की पहली अंतरिक्ष उड़ान
भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला आज भारत का नाम रोशन करते हुए नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से एक्सियम मिशन-4 के तहत अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए। भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 12:00 बजे उनकी लॉन्चिंग सफलतापूर्वक संपन्न हुई। रॉकेट के उड़ान भरते ही शुभांशु ने कैमरे की ओर देखकर कहा, “व्हाट ए राइड!”
कंधे पर तिरंगा, दिल में भारत
लॉन्चिंग के कुछ देर बाद शुभांशु का पहला संदेश आया— “ये तिरंगा मेरे कंधे पर नहीं, मेरी रगों में है। अंतरिक्ष की ओर बढ़ते हर सेकंड में मैं भारत को साथ लिए उड़ रहा हूं।”
उनके अंतरिक्ष सूट पर भारतीय तिरंगा साफ़ दिख रहा था, जिसे देखकर भारतीयों का गर्व और आत्मसम्मान और ऊंचा हो गया।
छह बार टल चुका था मिशन, सातवीं बार में मिली सफलता
यह मिशन पहले छह बार तकनीकी कारणों से टल चुका था। लेकिन टीम का धैर्य और वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई। आज जब लॉन्चिंग सफल हुई, तो कैनेडी स्पेस सेंटर में मौजूद शुभांशु के माता-पिता की आँखें नम हो गईं।
उनकी माँ ने कहा, “हम हर बार जब मिशन टलता था, तब भी ईश्वर से कहते थे कि जब भी भेजना हो, सही वक्त पर भेजना। आज वो दिन आ गया।”
शुभांशु के साथ कौन-कौन?
एक्सियम मिशन-4 में शुभांशु शुक्ला के साथ तीन अन्य एस्ट्रोनॉट हैं:
- माइकल लोपेज़-अलेग्रिया (पूर्व NASA कमांडर)
- मार्को अल्तामीरानो (स्पेन)
- लयला यासीन (UAE)
चारों मिलकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर रिसर्च और तकनीकी मिशन पूरे करेंगे।
भारत के लिए क्या है यह मिशन खास?
- पहली बार किसी निजी मिशन में भारतीय गगनयात्री को महत्वपूर्ण स्थान मिला है।
- भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा मिला है।
- शुभांशु इस मिशन में जीरो ग्रेविटी बायोलॉजिकल रिसर्च पर काम करेंगे, जिसमें भारतीय जीवन शैली और खानपान का असर देखा जाएगा।
शुभांशु का संदेश युवाओं को
“अगर आसमान छूना है, तो पहले ज़मीन से जुड़ना होगा। मेहनत, धैर्य और भारत के मूल्यों को कभी मत छोड़ना।”
निष्कर्ष:
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा सिर्फ़ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा है। ये दिखाता है कि अगर सपने सच्चे हों, और मेहनत सच्ची हो—तो अंतरिक्ष भी दूर नहीं।